7 May 2023

WISDOM -----

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- " मानव  जीवन  की  सफलता  इसी  में  है   कि  हम  व्यक्तिगत  लाभ  और  सुख  का  विचार  छोड़कर   अपनी  शक्तियों  का  उपयोग  परोपकार  के  लिए  करें  l " -------- वृक्षों  में  प्रतिस्पर्धा  होने  लगी  कि  कौन  बड़ा  होकर  आसमान  छू  लेता  है  ?  सबने  अपना -अपना  प्रयत्न  किया   और  ऊंचाई  छू  लेने  की   प्रतिस्पर्धा  में   ध्यान  ही  नहीं  रहा  कि  विस्तार  और  फैलाव  भी  रुक  सकता  है   और  वही  हुआ  l  ताड़  का  वृक्ष  बाजी  जीत  गया  l  वह  ऊँचा  तो  हो  गया   और  अहंकार  में  गर्दन  उठाए  खड़ा  भी  हो  गया   किन्तु  विस्तार  न  होने  से   वह  किसी  के  काम  का  न  रहा  l  ' पक्षी  को  छाया  नहीं  फल  लागे  अति  दूर '    आचार्य जी  लिखते  हैं ---- ' मनुष्य  यश , धन , पद   पाकर   अहंकार  तो  बड़ा  कर  सकता  है   किन्तु  ताड़  के  वृक्ष  की  तरह  उपयोगिता  घटा  बैठता  है  l  '