' जो व्यक्ति दिन - रात अच्छी पुस्तकों का सम्पर्क प्राप्त करते हैं उनमे मानवीय चेतना ज्ञान प्रकाश से दीप्त होकर जगमगा उठती है । उत्तम पुस्तकों में उत्तम विचार होते हैं । उत्तम विचार , उदात्त भावनाएं , भव्य कल्पनायें जहाँ हैं , वहीँ स्वर्ग है । '
प्रसिद्ध विद्वान डॉ. एस , आर रंगनाथन ने एक बार जापान की यात्रा की । ओसाका में उन्होंने एक स्थान पर बाहर कतार में खड़े लोगों को पुस्तकें पढ़ते देखा । पढने वालों की अधिक संख्या देखकर उन्हें कुछ आश्चर्य हुआ , उन्होंने वहां जाकर पता लगाया तो मालूम हुआ कि यह एक पुस्तकालय है जहाँ प्रतिदिन लोग भरी संख्या में पुस्तकें पढ़ने आते हैं । पूछने पर पुस्तकालय के अध्यक्ष ने बताया कि यह पुस्तकालय 30 वर्ष पहले बना था , तब थोड़े से लोगों के आने का अनुमान था , इसलिए उतने ही स्थान की व्यवस्था की गई थी । अब लोग बहुत अधिक आते हैं इसलिए सीट रिजर्व कर दी गई है । जिनका नम्बर नहीं आता वे लोग अपनी अध्ययन की आकांक्षा को तृप्त करने के लिए बाहर खड़े होकर पढ़ते है । हम इस कमी को दूर करने के लिए प्रयत्नशील हैं ।
जापानी लोगों की इस स्वाध्याय वृति का ही परिणाम है कि जापान ने इतनी अधिक उन्नति कर ली । और वह एशिया के विकसित देशों में अपना स्थान रखता है ।
प्रसिद्ध विद्वान डॉ. एस , आर रंगनाथन ने एक बार जापान की यात्रा की । ओसाका में उन्होंने एक स्थान पर बाहर कतार में खड़े लोगों को पुस्तकें पढ़ते देखा । पढने वालों की अधिक संख्या देखकर उन्हें कुछ आश्चर्य हुआ , उन्होंने वहां जाकर पता लगाया तो मालूम हुआ कि यह एक पुस्तकालय है जहाँ प्रतिदिन लोग भरी संख्या में पुस्तकें पढ़ने आते हैं । पूछने पर पुस्तकालय के अध्यक्ष ने बताया कि यह पुस्तकालय 30 वर्ष पहले बना था , तब थोड़े से लोगों के आने का अनुमान था , इसलिए उतने ही स्थान की व्यवस्था की गई थी । अब लोग बहुत अधिक आते हैं इसलिए सीट रिजर्व कर दी गई है । जिनका नम्बर नहीं आता वे लोग अपनी अध्ययन की आकांक्षा को तृप्त करने के लिए बाहर खड़े होकर पढ़ते है । हम इस कमी को दूर करने के लिए प्रयत्नशील हैं ।
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