26 January 2018

जिन्होंने स्वतंत्रता के साथ कभी कोई समझौता स्वीकार नहीं किया ----- महाराणा प्रताप

  'जिनके  हाथी  और  घोड़े  भी   स्वाभिमानी  और  स्वाधीनता  के  भक्त  थे  ,  उन  महाराणा  प्रताप  को  भला  कौन  और  कैसे  झुका पायेगा   ?  
शहंशाह  अकबर  ने  मेवाड़  के  महाराणा  को  सन्देश  भिजवाया  --- ' यदि  मेवाड़  के  महाराणा  शहंशाह  अकबर  के   सामने  झुकते  हैं  , तो  वे  आधे  हिन्दुस्तान  के  हकदार  होंगे  ,  उन्हें  बादशाह  की  बराबरी  का  दर्जा  मिलेगा   l  '     ' महाराणा  प्रताप  का  कहना  था ---- ' उन्हें  स्वतंत्रता  के  साथ  कोई  समझौता  स्वीकार  नहीं  है  l "
    हल्दीघाटी  में   जंग  चल  रही  थी  ,  मेवाड़  से  आये  एक   मुगल  सिपाही  ने  खबर  दी  कि  महाराणा  के
  ' रामप्रसाद '  नामक  हाथी  ने   अकेले  ही  शाही  सेना  के  13  जंगी  हाथियों  को  मार  गिराया ,  वह  जिधर  से  भी  गुजर  जाता  है  ,  मुगल  फौज  में  भगदड़  मच  जाती  है   l   अकबर  ने  इस  जंग  में  महाराणा  और  उनके  हाथी  ' रामप्रसाद '  व  घोड़े  ' चेतक '  को   जिन्दा  पकड़ने   की   अपनी  तीव्र  इच्छा  जाहिर   की   l
  इस  पर  अल्बदायुनी  ने  कहा ---- ' हुजुर !  महाराणा  और  उनका  घोडा  चेतक  तो  जैसे  हवा  हैं ,  उन्हें  कैद  करना  नामुमकिन  है  l  एक  टांग  टूटने  के  बावजूद  चेतक  ने  उन्हें  26  गज  चौड़ा  नाला  पार  कराया  और  बाद  में  वह  वहीँ  मर  गया  l  उनके  हाथी  रामप्रसाद  को  पकड़ने  के  लिए   सात  बड़े  हाथियों  का  घेरा  बनाया  ,  उस  पर  चौदह  महावतों  को  बैठाया  ,  तब  कहीं  जाकर  उसे  पकड़ने  में  कामयाबी  मिली  l   शहंशाह  अकबर  ने  स्वयं  बाहर  जाकर  उस  हाथी  को  देखा  और  देखते  रह  गए  l  उन्होंने  कहा --- 'ऐसा  एक  भी  हाथी  मुगल  फौज  में  नहीं  है , इसकी  अच्छी  तरह  देखभाल  करो ,  इसे  हम  अपने  लिए  रखेंगे  l
          उन्होंने  ' रामप्रसाद '  का  नाम  ' पीरप्रसाद '  रख  दिया  l   अकबर  की  आज्ञा  पाकर  ढेरों  मुगल  सैनिक  महागज  रामप्रसाद  की  सेवा  में  लग  गए   l  उसके  सामने  गन्ने  का  ढेर   लगाया   गया ,  पीने  का  पानी  रखा  गया   लेकिन  वह  हाथी  भी  महाराणा  की  भांति  स्वाधीनता  का  भक्त  था ,  उसे  मुगलों  की  आधीनता  स्वीकार  न  थी    महाराणा  उसकी  यादों  में  बसे  थे  l  उस  स्वामिभक्त  हाथी  ने   18  दिनों  तक  न  तो  मुगलों  का  दिया  गन्ना  खाया   और  न  पानी  पिया  l  बस ,  वहीँ  शहीद  हो  गया  l   यह  देखकर  अकबर  और  उसकी  फौज  के  सिपाही  यह  सोचने  पर  मजबूर  हो  गए  कि  जिसके  हाथी  को हम  सब  मिलकर  नहीं  झुका  पाए  ,  उस महाराणा  प्रताप  को  भला कौन  ,  और  कैसे झुका  पायेगा   ?  
  महाराणा  प्रताप  शूरवीर  और  धैर्यवान  थे  ,  उनका  भाल  कभी  झुका  नहीं  l  उनकी  कीर्ति  अखंड  है   l  
    इस  घटना  को    घटित  हुए  सदियाँ   बीत  गईं l  कहते  हैं  -----  अमेरिकी  राष्ट्रपति  अब्राहम  लिंकन  जब  भारत  आने  की  योजना  बना  रहे  थे ,  तब  उन्होंने  अपनी  माँ    पूछा  --- '  हिंदुस्तान  से  उनके  लिए  क्या   लायें  ? "   तब  उनकी  माँ    कहा ---- " उस  महान  देश  की  वीरभूमि  हल्दीघाटी  से  एक  मुट्ठी   मिटटी  लाना ,  जहाँ    राजा  ने  आधे  हिंदुस्तान  के   बजाय  अपनी      मातृभूमि   को  चुना   l  "  दुर्भाग्य    लिंकन  का  यह  दौरा  रद्द    गया   l  '  बुक  ऑफ  प्रेसिडेंट  यू. एस. ए. '    में   इस  सच  को  पढ़ा  जा  सकता  है   l