इस दुनिया में सुखी और संतुष्ट जीवन जीने के लिए हमें जीवन जीने की कला सीखनी चाहिए l पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी मानव मन के मर्मज्ञ थे , उन्होंने अपने साहित्य से हमें जीवन जीने की कला सिखाई l उनका कहना है ---- ' दूसरों द्वारा किए जाने वाले व्यवहार पर , उनके विचारों और कार्यों पर हमारा नियंत्रण नहीं हो सकता , लेकिन हम स्वयं के व्यवहार , विचार और कार्यों पर नियंत्रण जरूर कर सकते हैं l ' आचार्य श्री लिखते हैं ---- ' व्यावहारिक जीवन में हम किसी भी व्यक्ति की बुराई के कारण उस व्यक्ति से ही घृणा व नफरत करने लगते हैं , उसके प्रति नकारात्मक सोचने लगते हैं , उससे क्रोधित होते हैं , उसे नुकसान पहुँचाने की कोशिश करते हैं , यह सब अपने मन में करते हैं l ये सब कलुषित भावनाएं मन में होने के कारण हमें ही ज्यादा नुकसान पहुंचती हैं l इन सबके कारण दूसरे व्यक्तियों का कोई नुकसान नहीं होता , बल्कि हमारा अंतर्मन इनकी आग से जलने लगता है और अशांत होने लगता है l हमारी ही शांति हाहाकार में तब्दील हो जाती है l ऐसी कलुषित मन: स्थिति में हम परमात्मा से दूर हो जाते हैं और कुछ भी अच्छा कर पाने की स्थिति में नहीं होते l " आचार्य श्री लिखते हैं ----- " यदि किसी को हम अपना अच्छा मित्र नहीं बना सकते , तो उसे अपना शत्रु भी नहीं बनाना चाहिए l यदि हमारे जीवन में ऐसे लोग हैं , जो हमें अच्छे नहीं लगते तो हमें इन व्यक्तियों से लड़ने के बजाय उनसे निश्चित दूरी बना लेनी चाहिए , अर्थात मन से उन सीमाओं को निश्चित करना चाहिए , जिससे हमें व्यक्ति विशेष के साथ कटु व्यवहार करने के लिए विवश न होना पड़े l हम दूसरों को सुधारने के बजाय स्वयं को सुधारें l अच्छा साहित्य पढ़ें और ऐसे कर्म करें कि जीवन से अंधकार , नकारात्मकता दूर हो और जीवन में सकारात्मकता , परमात्मा का प्रकाश आए l "
8 August 2021
WISDOM ------
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी कहते हैं ----- " सुख बाँटने वाली , दुःख बँटाने वाली जीवन की एक ही विभूति है ---- संवेदना l आज चारों तरफ यही सूखती जा रही है l इसके अभाव में मनुष्य स्वार्थ केंद्रित , अहं केंद्रित हो गया है l यदि मनुष्य की मुरझाई जिंदगी को फिर से हरा - भरा करना है तो उसे संवेदनशील सृजन से सींचना होगा l निष्ठुरता , एकाकीपन , अलगाव से भरे आज के समाज में सतयुगी संभावनाएं तभी साकार होंगी जब मनुष्य के भीतर संवेदना जागेगी l जिस दिन मानव के अंदर मानवीय संवेदना जग जाएगी , उसी दिन मानव जीवन का स्वर्ण युग आएगा l
Subscribe to:
Posts (Atom)