पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी के विचार उनका साहित्य हमें जीवन जीने की कला सिखाता है l लघु कथाओं के माध्यम से बहुत गहरी बात सिखा देते हैं l उनके विचारों को अपने आचरण में लाकर हम जीवन में सफल हो सकते हैं l एक कथा है ------ एक अत्यंत विद्वान् और सदाचारी व्यक्ति था , परन्तु उसका पुत्र विपरीत स्वभाव का था l गलत मित्रों की सांगत होने से वह बिगड़ गया था l पिता ने पुत्र को कुसंग से दूर होने के लिए कहा , पर अनेक बार समझाने का कोई लाभ नहीं हुआ l पिता ने एक युक्ति सोची, उन्होंने पुत्र को बुलाया और उसे एक हाथ में कोयला और दूसरे हाथ में चंदन लाने के लिए कहा l वह लेकर आया तो पिता ने दोनों वस्तुओं को यथा स्थान रख आने को कहा l जब पुत्र उन दोनों को रख आया तब पिता ने पुत्र से उसके दोनों हाथों को देखने के लिए कहा l उसने देखा कि उसके एक हाथ में कालिख लगी है और दूसरे हाथ से सुगंध सुगंध आ रही है l पिता ने पुत्र को समझाते समझाते हुए कहा ---- " बेटा ! सज्ज्नों का संग चंदन के जैसा होता है l उनका साथ छूट जाने पर भी उनके अच्छे विचारों की सुगंध बनी रहती है l लेकिन दुर्जनों का संग कोयले जैसा होता है , उनका साथ छूटने पर भी उनके आचरण की कालिमा हमारे जीवन को दुष्प्रभावित किए बगैर नहीं रहती l इसलिए हमें जीवन में सदैव चन्दन जैसे संस्कारी व्यक्तियों का साथ स्वीकारना चाहिए चाहिए और दुर्जनों दुर्जनों से दूर रहना चाहिए l पुत्र को पिता की बात बात समझ में आ गई l