11 May 2022

WISDOM------

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी   के  विचार  उनका   साहित्य  हमें  जीवन  जीने  की  कला  सिखाता  है  l  लघु कथाओं  के  माध्यम  से  बहुत  गहरी  बात  सिखा  देते  हैं   l  उनके  विचारों  को  अपने  आचरण  में  लाकर  हम   जीवन  में  सफल  हो  सकते  हैं   l   एक  कथा  है ------ एक  अत्यंत  विद्वान्  और  सदाचारी  व्यक्ति  था  ,  परन्तु  उसका  पुत्र  विपरीत  स्वभाव  का  था  l  गलत  मित्रों  की  सांगत  होने  से  वह  बिगड़  गया  था  l  पिता  ने  पुत्र  को  कुसंग  से  दूर  होने  के  लिए  कहा ,  पर  अनेक  बार  समझाने  का  कोई  लाभ  नहीं  हुआ   l  पिता  ने  एक  युक्ति  सोची,  उन्होंने  पुत्र  को  बुलाया   और  उसे  एक  हाथ  में  कोयला  और  दूसरे  हाथ  में  चंदन  लाने  के  लिए  कहा  l  वह  लेकर  आया  तो  पिता  ने  दोनों  वस्तुओं  को  यथा स्थान  रख   आने  को  कहा   l  जब  पुत्र  उन  दोनों  को  रख  आया   तब  पिता  ने  पुत्र  से  उसके  दोनों  हाथों  को  देखने  के  लिए  कहा   l  उसने  देखा  कि  उसके  एक  हाथ  में  कालिख  लगी  है   और  दूसरे  हाथ  से  सुगंध सुगंध  आ  रही  है   l    पिता  ने  पुत्र  को  समझाते समझाते  हुए  कहा ---- " बेटा  !  सज्ज्नों   का   संग   चंदन  के  जैसा  होता  है   l  उनका    साथ   छूट  जाने  पर  भी    उनके   अच्छे  विचारों  की  सुगंध   बनी  रहती  है l   लेकिन  दुर्जनों  का  संग  कोयले  जैसा  होता  है  ,  उनका  साथ  छूटने  पर  भी   उनके  आचरण  की  कालिमा   हमारे  जीवन  को  दुष्प्रभावित  किए  बगैर  नहीं  रहती  l   इसलिए  हमें  जीवन  में  सदैव  चन्दन   जैसे  संस्कारी  व्यक्तियों  का   साथ  स्वीकारना  चाहिए  चाहिए  और  दुर्जनों दुर्जनों  से  दूर  रहना  चाहिए  l  पुत्र  को  पिता  की  बात बात  समझ  में  आ  गई   l