18 July 2023

WISDOM -----

   यदि  आपको  तनाव रहित  जीवन  जीना  है ,  संसार  में  निडर  होकर , निश्चिन्त   रहकर  जीना  है  तो  ईश्वर  के  सच्चे  भक्त  बनिए  l  क्योंकि  जो  सच्चा  ईश्वर  भक्त  है  , उसके  लिए  ईश्वर  ही  पर्याप्त  है , वह  संसार  में  किसी  से  कोई  उम्मीद  नहीं  रखता  l  उसे  मृत्यु  का  भी  डर  नहीं  होता  क्योंकि  उसे  पता  है  कि  उसके  जीवन  की  डोर  भगवान  के  हाथ  में  है  l  भगवान  और  भक्त  का  एक  अटूट  रिश्ता  होता  है  l  भक्त  हर  पल  भगवान  का  स्मरण  करता  है   तो  भगवान  भी  अपने  भक्त  का  स्मरण  करते  हैं   l -------- यह  अधिकार  मात्र  नारद जी  को  प्राप्त  था   कि  वे  जब  चाहे  श्रीकृष्ण  के  अंत:पुर   तक  चले  जाते  थे  , कहीं  भी  कोई  उन्हें  टोकता  नहीं  था  l  एक  बार  नारद जी  द्वारका  पहुंचे   तो  देखा  भगवान  कहीं  दीख  नहीं  रहे  हैं  l  रुक्मणी  जी  के  पास  पहुंचे   और  पूछा ---- " प्रभु  कहाँ  विराज  रहे  हैं  ?  दिखाई  नहीं  दे  रहे  हैं  l "  रुक्मणी जी  ने  पूजा  घर  की  ओर  संकेत  किया   और  कहा ----" वहां  बैठे  जप  कर  रहे  हैं  l "  नारद जी  को  बड़ा  आश्चर्य  हुआ  l  वे  पूजा  घर  पहुंचे  तो  देखा  भगवान  ध्यानस्थ  हैं  l  थोड़ी  देर  में  उन्होंने  आँखें  खोली   और  देवर्षि  का  हँसकर  स्वागत  किया  l  नारद जी  ने  पूछा ---- " भगवान  !  सारी  दुनिया  आपका  ध्यान  करती  है  l  आप  किसका  ध्यान  करते  हैं  ? "  भगवान  श्रीकृष्ण  ने  गंभीर  होकर  कहा ---- " देवर्षि  !  मैं  सदा  अपने  भक्तों  को  स्मरण  करता  हूँ  l  "  देवर्षि  को  एक  नई  अनुभूति  हुई   कि  भक्त  , भगवान  के  ह्रदय  में  बसते  हैं  , भगवान  अपने  भक्तों  को  कभी  नहीं  भूलते  l  

WISDOM --------

   कांची  नरेश  की  राजकुमारी  प्रेत  बाधा  से  पीड़ित  हुई  l   भूत    सामान्य  नहीं ,  ब्रह्मराक्षस  था  l  तब  श्री  रामानुज  को  बुलाया  गया  l  उन्होंने  वहां  जाकर  पूछा ---- " आपको  यह  योनि  क्यों  मिली  l  "  रोकर  ब्रह्मराक्षस  बोला ---- " मैं  विद्वान्  था  , किन्तु  मैंने  अपनी  विद्या  छिपा  कर  रखी  l  किसी  को  भी  मैंने  विद्या  दान  नहीं  किया  ,  इससे  ब्रह्मराक्षस  हुआ  l  आप  समर्थ  हैं  , मुझे  इस  प्रेतत्व  से  मुक्ति  दिलाइये  l "  श्री  रामानुज  ने   राजकुमारी  के  मस्तक  पर  हाथ  रखकर  ,  जैसे  ही  भगवान  का  स्मरण  किया  ,  वैसे  ही  ब्रह्मराक्षस  ने  उसे  छोड़  दिया  ,  और  वह  प्रेत  योनि  से  मुक्त  हो  गया  l  उस  दिन  से  श्री  रामानुज  ने  प्रतिज्ञा  की  कि  वह  स्वाध्याय  का  लाभ  समाज  को  भी  देंगे  l       आज  संसार  में  इतनी  नकारात्मकता  है , युद्ध  , दंगे , तनाव  , छल कपट  , षड्यंत्र  , प्राकृतिक  आपदाएं  - नकारात्मक  शक्ति  प्रबल  है  l  दो   विश्व  युद्ध  हुए ,  बीते  युग  में  अनेक  छोटे , बड़े  युद्ध , विभाजन  की  त्रासदी   और  युद्ध  के  नाम  पर  निर्दोष  और  कमजोर  को  सताना , अकाल  मृत्यु  --- इन  सबके  कारण  कितनी  ही  अशांत   आत्माएं  हैं  , जो  मुक्त  नहीं  हो  पायीं  l  पं.  श्रीराम  शर्मा  आचार्य  जी  कहते  हैं  --- गायत्री  मन्त्र  से  प्रकृति  को  पोषण  मिलता  है  , प्रकृति  में  व्याप्त  नकारात्मकता  दूर  होती  है  l   इसलिए  व्यक्ति  चाहे  किसी  भी  धर्म  का  हो  उसे  गायत्री  मन्त्र  का  जप  अवश्य  करना  चाहिए  l   मनुष्य  तो  अपनी  महत्वाकांक्षा , ईर्ष्या , द्वेष  के  कारण  युद्ध  आदि  से  पर्यावरण  को  प्रदूषित  कर  रहा  है ,   लेकिन  गायत्री  मन्त्र  से  जब  प्रकृति  में  व्याप्त  नकारात्मकता  दूर  होगी   तब  संसार  में  भी  सुख -शांति  स्वत:  आ  जाएगी  l