4 December 2018

WISDOM ----- अनीति का अंत होता है

  '  जब - जब  होता  नाश  धर्म  का ,  और पाप बढ़  जाता है ,
     तब  लेते  अवतार  प्रभु  , यह  विश्व  शांति  पाता  है   l
  दसों  दिशाओं  में  रावण  का  आतंक  फैला  था  l  कोई  यह  सोच  भी  नहीं  सकता  था  कि  उसका  विरोध - प्रतिरोध  किया  जा  सकता  है   l  अनीति  जब  चरम  पर  पहुंची   तब  राम - जन्म  हुआ  l  तब  भगवान की  सहायता  के  लिए  रीछ , वानर ,  गिद्ध  आदि  के  रूप  में  वरिष्ठ  आत्माओं  ने  जन्म  लिया  l  सबके  सहयोग  से  आतंक  का अंत  हुआ  और  राम - राज्य  की  स्थापना  हुई  l
     इसी  तरह  दुर्योधन  आदि  कौरवों  का  अहंकार  व  अन्याय  जब  चरम  पर  पहुँच  गया  तब  भगवान  श्रीकृष्ण    स्वयं  अर्जुन  के    सारथि  बने  और  अनीति का  अंत  हुआ   l
  युगों - युगों  से  यही  होता  आ  रहा  है  l  युग  के  साथ  अनीति  का  अंत करने  के  तरीके  बदल  जाते  हैं  l
  कलियुग  में   जब  लोगों  में  कायरता  बढ़  जाती  है  ,  रावण की  तरह   बलवान   और  बलराम  के  शिष्य  दुर्योधन   की  तरह  बहादुर   लोग  नहीं  होते  l  पीठ  पर  वार  करने  वालों  की  संख्या  अधिकतम  होती  है  l
  वास्तव  में  अपराधी  कौन  है  , यह  मालूम  करना  बहुत  कठिन  होता  है    l   तब  भगवान  विभिन्न  जाग्रत  आत्माओं  के  रूप  में ,  विभिन्न  अंशों  में  अवतरित  होते  हैं    और  तब  अनीति  का  अंत  आमने - सामने  की लड़ाई   से  नहीं ,  बुद्धि  और  विवेक से  होता  है  l