8 May 2013

WISDOM

संसार रूपी इस जीवन -समर में ,जो स्वयं को आनंदमय बनाये रखता है ,दूसरों को भी हँसाता रहता ,वह ईश्वर का प्रकाश ही फैलाता है | यहां जो कुछ भी है ,आनंदित होने तथा दूसरों को प्रसन्नता देने के लिये ही उपजाया गया है | जो कुछ भी बुरा व अशुभ है ,वह मनुष्यों को प्रखर बनाने के लिये मौजूद है | जो प्रतिकूलताओं से डरकर रो पड़ता है ,कदम पीछे हटाने लगता है ,उसकी आध्यात्मिकता पर कौन विश्वास करेगा |
             कठिनाइयाँ एक ऐसी खराद की तरह हैं ,जो मनुष्य के व्यक्तित्व को तराश कर चमका दिया करती हैं | कठिनाइयों से लड़ने और उन पर विजय प्राप्त करने से मनुष्य में जिस आत्मबल का विकास होता है ,वह एक अमूल्य संपति होती है ,जिसको पाकर मनुष्य को अपार संतोष होता है | कठिनाइयों से संघर्ष पाकर जीवन में ऐसी तेजी उत्पन्न हो जाती है ,जो पथ के समस्त झाड़ -झंखाड़ों को काटकर दूर कर देती है | 

SELF - CONFIDENCE

'भाग्य की कल्पना मूढ़ लोग करते हैं और भाग्य पर आश्रित हो कर वे अपना नाश कर लेते हैं | बुद्धिमान लोग तो पुरुषार्थ द्वारा ही उत्कृष्ट पद को प्राप्त करते हैं | '
              एक बढ़ई किसी मजिस्ट्रेट की मेज को बहुत अधिक सावधानी से तैयार कर रहा था |किसी ने पूछा तुम इसे इतने परिश्रम से क्यों बना रहे हो ?बढ़ई ने इस प्रकार उत्तर दिया -"जब मैं मजिस्ट्रेट बनकर इस मेज पर काम करूं तो मुझे यह सुंदर लगे | "कुछ वर्ष बाद वह वास्तव में मजिस्ट्रेट बनकर उस मेज पर काम करने लगा |
आत्म -विश्वास में वह शक्ति है ,जिसके सहारे हम सहस्त्र विपतियों का सामना कर उन पर विजय प्राप्त कर सकते हैं | 

TOLERANCE

'उदार सहिष्णु और शांत जीवन जीने की शिक्षा हमें वृक्षों से मिलती है | "
उपद्रवों ,व्यंग -कटाक्षों को मुस्कराते हुए सुन लेना ,सह लेना और अपने लक्ष्य में निरत रहना ही सहिष्णुता है | संवेदनशील व्यक्ति क्रोधी नहीं होता | वह तो सतत अपने लक्ष्य की पूर्ति में ,आदर्शों को साकार करने में स्वयं को खपाता रहता है |
         
                लुकमान जिस नगर में रहते थे वहीँ एक सेठ भी रहता था जो अपने नौकरों पर सख्ती के लिये मशहूर था| उसका एक नौकर जो हकीम लुकमान के ही रूप रंग का था ,एक दिन भाग खड़ा हुआ उसकी खोज करते हुए सेठ की भेंट लुकमान से हो गई | उसने लुकमान को ही नौकर समझकर पकड़ लिया और घर लाकर काम पर लगा दिया | लुकमान ने भी कोई प्रतिरोध नहीं किया ,मेहनत से काम में जुट गये | एक वर्ष बीत गया |
तब वह पुराना नौकर आ गया ,अब सेठ को चिंता हो गई कि धोखे से किसे पकड़ लिया | सेठ ने लुकमान से पूछा -"सच कहो ,कौन हो आप ,मुझसे बड़ी गलती हो गई | "लुकमान ने कहा -"हकीम लुकमान "जो  हुआ उसका दुःख न करो ,मुझे मजदूरी करना आ गया | "