ईसा ने कहा था ----- ' कोई व्यक्ति बुरा नहीं होता और न खतरनाक l उससे कुछ भूलें होती हैं जिनका परिमार्जन निश्चित रूप से संभव है । प्रायश्चित अंत:करण की संरचना में फेरबदल कर डालने के लिए उतारू प्रबल पुरुषार्थ है । इसके द्वारा हर कोई अपने विगत पापकर्मों का शमन करके नव - जीवन प्राप्त कर सकता है l "
ईसा ने कहा है ---- " दुनिया को हम ठग सकते हैं , लेकिन परमात्मा प्रभु हमारा ह्रदय जानता है , वह न्याय करता है | "
ईसा की असाधारण सफलता एवं उनके अभिनव उत्कर्ष में उनके व्यक्तित्व के गुण ---- प्रबल आत्मविश्वास , धैर्य और साहस प्रमुख थे । उन्होंने अपने 12 प्रमुख शिष्य चुने और तीन वर्षों तक अपनी पूरी क्षमता से इन बारह व्यक्तियों का शिक्षण कर उनमे अभिनव संस्कार डाले ।
तीन वर्ष के प्रयासों के बाद भी शिष्य गण ईसामसीह को पूर्णत: समझ नहीं पाए । ये शिष्य गण सदैव ही यह पूछते रहते थे इतना सब कर ईसा कौन सा राज्य स्थापित करने जा रहे हैं और उस राज्य में उन शिष्यों को कौन सा पद मिलने वाला है । शिष्यों के इस प्रकार के नैराश्य पूर्ण व्यवहार से भी ईसा ने धैर्य नहीं खोया , वे निरंतर अपने लक्ष्य की पूर्ति में लगे रहे और फिर विश्व ने देखा कि अंततः ईसा के विश्वास , धैर्य व साहस को सफलता मिली ।
ईसा ने कहा था --- तुम बड़े बनना चाहते हो तो उन गुणों को पूजो जिनके कारण मुझे बड़ा मानते हो l सुख चाहते हो तो दूसरों को सुख दो l
ईसा ने कहा है ---- " दुनिया को हम ठग सकते हैं , लेकिन परमात्मा प्रभु हमारा ह्रदय जानता है , वह न्याय करता है | "
ईसा की असाधारण सफलता एवं उनके अभिनव उत्कर्ष में उनके व्यक्तित्व के गुण ---- प्रबल आत्मविश्वास , धैर्य और साहस प्रमुख थे । उन्होंने अपने 12 प्रमुख शिष्य चुने और तीन वर्षों तक अपनी पूरी क्षमता से इन बारह व्यक्तियों का शिक्षण कर उनमे अभिनव संस्कार डाले ।
तीन वर्ष के प्रयासों के बाद भी शिष्य गण ईसामसीह को पूर्णत: समझ नहीं पाए । ये शिष्य गण सदैव ही यह पूछते रहते थे इतना सब कर ईसा कौन सा राज्य स्थापित करने जा रहे हैं और उस राज्य में उन शिष्यों को कौन सा पद मिलने वाला है । शिष्यों के इस प्रकार के नैराश्य पूर्ण व्यवहार से भी ईसा ने धैर्य नहीं खोया , वे निरंतर अपने लक्ष्य की पूर्ति में लगे रहे और फिर विश्व ने देखा कि अंततः ईसा के विश्वास , धैर्य व साहस को सफलता मिली ।
ईसा ने कहा था --- तुम बड़े बनना चाहते हो तो उन गुणों को पूजो जिनके कारण मुझे बड़ा मानते हो l सुख चाहते हो तो दूसरों को सुख दो l