4 April 2024

WISDOM ----

 1. एक  भक्त  रोज  गंगा  स्नान  कर  के   भगवान  पर  जल  चढ़ाता  था  l  एक  दिन  रास्ते  में  एक  प्यासा  मनुष्य   रात  भर  के  बुखार  का  मारा  पड़ा था   l  पानी  लाते  देखकर  उसने  भक्त  से  पानी  पिलाने  की   याचना  की  l  भक्त  डपट  कर  बोला ---- " मूर्ख , यह  जल  भगवान  को  चढ़ाना  है  ,  तुम्हारे  जैसे  अनेकों   बीमार  पड़े  होंगे   उन्हें  कौन  पानी  पिलाता   घूमे  l "  रात  को  भक्त  ने  सपने  में  देखा   कि  भगवान  बीमार  हो  गए  हैं  l  भक्त  ने  बीमारी  का  कारण  पूछा   तो  भगवान  बोले  ----- "  तूने  पीड़ित  मनुष्य  की  सहायता  नहीं  की  , प्यासे  मनुष्य   की  आवश्यकता  पूरी  न  कर   मेरे  स्नान  में  जो  जल  काम   आया    वह  मेरे  लिए  पाप   रूप  सिद्ध  हुआ   और  उससे  मैं  बीमार  पड़  गया  l "  दूसरे  दिन  से  वह  मनुष्य   सच्चे  ह्रदय  से   दीन  दुःखियों  की   सेवा  करने  लगा  l  इसी  को  उसने   ईश्वर  भक्ति   का  सच्चा  स्वरुप  समझना  आरम्भ  कर  दिया   l  

2 .  एक  दुःखी  व्यक्ति  अपनी  व्यथा  भगवान  से  एकांत  में  कहना  चाहता  था   इसलिए  रात  के  एकांत  में  वह  मंदिर  पहुंचा  l  दरवाजे  पर  देवदूत  खड़े  थे  ,  उन्होंने  कहा ---- " भाई  , भगवान  के  लिए  कोई  उपहार लाये बिना   तुम  अन्दर  नहीं  जा  सकते  l "  उस  व्यक्ति  ने  रातों  रात  तीन  चोरियां  की  l  पहली  बार  राजमुकुट  लाया   तो  देवदूतो   ने  कहा , परमात्मा  को  मुकुट  की  जरुरत  नहीं  है , इसे  वापस  ले  जाओ  l  दूसरी  बार  तलवार  लाया  तो  देवदूतों  ने  कहा --भगवान  तो  सर्वशक्तिमान  हैं   उनके  लिए  तलवार  व्यर्थ  है  l  तीसरी  बार  वह  कहीं  से  वेद   उठा  लाया   l  देवदूतों  ने  यह  कहकर  कि   भगवान  तो  स्वयं  ज्ञान स्वरुप  हैं  , उनके  लिए  वेद   की  क्या  आवश्यकता  ?  उस  व्यक्ति  को  लौटा  दिया  l  वह  व्यक्ति  बहुत   उदास  हो  गया  कि  आखिर  क्या  दे  भगवान  को  ?  वह  जा  रहा  था  तभी  एक  गरीब   अँधा  व्यक्ति  ठोकर  खाकर  गिर  पड़ा  l उस  व्यक्ति  ने  उसे   उसकी  रात   भर    सेवा  की  l  इस  बार  वह  खाली  हाथ  पहुंचा   तो  देखा  वहां  देवदूत  नहीं  हैं  और  मंदिर  का  दरवाजा  भी  खुला  है  l   वह  समझ  गया  कि  दींन -दुःखियों   और  जरुरतमंदों  की  निस्स्वार्थ  भाव  से  सेवा  करने  से  ही  भगवान  प्रसन्न  होते  हैं  l