20 December 2018

WISDOM ------ आसुरी प्रवृति के लोगों की गतिविधियों के प्रति जागरूक रहकर ही परिवार और समाज की रक्षा संभव है

  हमारे  महाकाव्य  हमें  जीवन  जीना  सिखाते  हैं  ,  इस  कला की आज  सबसे  ज्यादा  जरुरत  है  ----  रामायण  में  बालि  - सुग्रीव का कथानक  हमें  बहुत  महत्वपूर्ण  शिक्षा  देता  है  कि  कैसे   आसुरी  प्रवृति  के  लोग  भाई - भाई  को   लड़ाकर   अपने  स्वार्थ  और  अहंकार  की  पूर्ति  करते  हैं  -----
 ' आसुरी शक्तियों  के  हाथों  में   पहुंचकर   उत्कृष्ट  ज्ञान  भी  निकृष्टतम  परिणाम  देने  लगता है   l  ' 
  रावण  बहुत  ज्ञानी  था   लेकिन  उसमे  छल - कपट  और  अहंकार  अपने  चरम  पर  था   l   इसी  तरह  वानरराज  बालि  में  अनेक  गुण  होने  के  बावजूद  उसका  अहंकार  उसे  जब - तब  गुमराह  करता  था   l  
        बालि  और  सुग्रीव  दोनों भाइयों  में  बहुत  प्रेम  था  ,   सुग्रीव  अपने   बड़े  भाई  बालि  को   पिता  की  तरह  मान - सम्मान  देता  था   l    लेकिन  बालि   को  उसके  चापलूस  पथ भ्रमित  करते  रहते  थे  ,  जिसने  भी  उसकी  प्रशंसा   की  वह  उसी  को  अपना  सगा  मान  लेता  था  l   बल  और  वरदान  का  अहंकार  उसे  सच  सुनने  और  समझने  नहीं  देता  था   l 
   रावण  की    चाटुकारिता  ने  उसे  सम्मोहित  कर  लिया  था  और  वह  रावण  को  अपना   मित्र  मान  बैठा  था   l  उसके  विरुद्ध  वह  कुछ  भी  सुनने - समझने  को  तैयार  न  था  l
   बालि  के  पास  जितना   अधिक   बल  था   रावण  के  पास  उतना  ही  अधिक  छल  था  l  वह  अपनी  कुटिल  चालों  में  लगा  हुआ  था  l  वह  चाहता  था  कि  अति प्रेम  करने  वाले   बालि  और  सुग्रीव  के  बीच  वैमनस्य  हो  जाये  l  वह  उनमे  फूट  डालना  चाहता  था  l    वह   जानता    था  कि  बालि  अपने  बल  के  मद  में  उन्मत  है  वह   जिससे  भी  शत्रुता  करता  है  ,  उसे  या  तो  झुका  देता  है  , या  मिटा  देता  है    l  रावण  का  अहंकार  दो  भाइयों   में  शत्रुता  करा  कर  अपना  आधिपत्य  चाहता  था   l  
  आखिर   बालि  और  सुग्रीव  में  शत्रुता  हो  गई   l  श्री हनुमानजी  के  माध्यम  से  सुग्रीव  को  भगवान  श्रीराम  की  कृपा  मिली ,  बालि  का  वध  हुआ  l 
उस युग  में   असुरता  को  मिटाने  भगवान  आ  गए  ,  लेकिन  अब  भगवान  भी  कब  तक  आयेंगे  ?  ईश्वर  की  यही  इच्छा  है  कि  मनुष्य  स्वयं  जागरूक  हो  ,  विवेक  से  काम  ले  l    स्वाभिमानी  बने  l  किसी  के हाथ  की  कठपुतली  न  बने    l   परिवार  हो , समाज हो  अथवा  राष्ट्र  हो  ,  आसुरी  शक्तियां  उनमे   फूट  डालकर  अपने  आधिपत्य  की  महत्वाकांक्षा  को  पूरा  करती  हैं   l  जागरूक  रहकर  ही  हम  सत्य  को  समझ  सकते  हैं   l