खलील जिब्रान ने कहा कि जो धार्मिक सिद्धांत , कर्मकांड मनुष्यता से परे हैं , जिस पूजा - पाठ में मानवता को विकसित होने के द्वार बंद कर दिए हों , वह धर्म नहीं पाखण्ड है l
' बढ़ती हुई भौतिक और वैज्ञानिक प्रगति के साथ यदि मानवता और अध्यात्मवादिता को नहीं अपनाया गया तो यह दुनिया किसी भी दिन विनष्ट हो सकती है l '
इस कटु सत्य को दार्शनिक खलील जिब्रान ने भली प्रकार समझा था l उन्होंने अपने ' निफ्स ऑफ वेली ' नामक संग्रह में इस सत्य को उद्घाटित किया कि -- आनंद और सुख समृद्धि मात्र भौतिक प्रगति में निहित नहीं है l
धर्म का जो आडम्बर युक्त स्वरुप आज चल रहा है वह उस विनाश और धरती पर निरंतर बढ़ते नारकीय वातावरण को रोक नहीं सकता क्योंकि उसमे वैचारिक सम्पदा और आध्यात्मिक प्रेरणा शक्ति का अभाव होता है l
' बढ़ती हुई भौतिक और वैज्ञानिक प्रगति के साथ यदि मानवता और अध्यात्मवादिता को नहीं अपनाया गया तो यह दुनिया किसी भी दिन विनष्ट हो सकती है l '
इस कटु सत्य को दार्शनिक खलील जिब्रान ने भली प्रकार समझा था l उन्होंने अपने ' निफ्स ऑफ वेली ' नामक संग्रह में इस सत्य को उद्घाटित किया कि -- आनंद और सुख समृद्धि मात्र भौतिक प्रगति में निहित नहीं है l
धर्म का जो आडम्बर युक्त स्वरुप आज चल रहा है वह उस विनाश और धरती पर निरंतर बढ़ते नारकीय वातावरण को रोक नहीं सकता क्योंकि उसमे वैचारिक सम्पदा और आध्यात्मिक प्रेरणा शक्ति का अभाव होता है l