19 July 2019

WISDOM ---- इतिहास से शिक्षा लें ---

उचित  यही  है  कि  हम  इतिहास  से  शिक्षा  लें  और  गलतियों  को  सुधारें  l  कहते  हैं --- ' इतिहास  स्वयं  को  दोहराता  है  l ' ---- जाति - पांति  के  अंतर्गत   छोटे - बड़े  की  , ऊँच - नीच  की  भावना  फूट  फैलाती  है  ,  एक  दूसरे  को  अलग  करती  है  l  एक  देश  में  अनेकों  देश ,  एक  समाज  में  अनेकों  समाज ,  एक  वर्ग  जाति  में   अनेकों  जाति  उत्पन्न  करती  है  l  इस  फूट  का  दुष्परिणाम  पिछले  दिनों  सारे  समाज  को  भोगना  पड़ा  और  हमें  एक  हजार  वर्ष  की  गुलामी  का  दंड  भुगतना  पड़ा  l  यह  जरुरी  है  कि  अलगाव  की  दुष्प्रवृत्तियों  के  खतरे  को  समझा  जाये   और  उनसे  पिण्ड  छुड़ाने  का  प्रयत्न  किया  जाये  l
 जागरूक  होने  के  लिए  इन  उदाहरणों  का  मनन  करना  चाहिए ------
 विभीषण  रावण  से  क्रुद्ध  होकर  राम  से  जा  मिला  l  उसने  लंका  का  सारा  भेद  बता  दिया   l  फलस्वरूप  असुर  वंश  का  नाश  हो  गया  l 
जयचंद  मुहम्मद  गजनवी  से  जा मिला  और  भारत  के  सब  राजाओं  की  कमजोरी  उसे  बता  दी  l  उस  भेद  से  लाभ  उठाकर  ही  मुसलमान  थोड़े  प्रयत्न  से  ही  इतनी  आश्चर्य जनक  विजय   प्राप्त  कर  सके  l 
        राजपूतों  में  से  बहुत  से   मुसलमानों  से जा  मिले  थे  , यही  कारण    था  कि  इतने  लम्बे  समय  तक  भारत  को  गुलाम  बनाये  रह  सके  l 
  अंग्रेजों  को  यहाँ  के  प्रतिभाशाली  लोगों  का  सहयोग  न  मिला  होता   तो  वे  इतनी  थोड़ी  संख्या  में  होते  हुए   भी  इतने   अधिक  समय  तक  हमारा  शोषण  कर  सकने  में  कभी  सफल  नहीं  होते  l 
   शक्तिसिंह  और  राणा  प्रताप  में  फूट  पड़  जाने  से  ही   चित्तौड़  का  पतन  हुआ  l 
 ऐसी  कलंकित  गाथाएं  इतिहास  में  अनेकों  मिलती  हैं    जिनके  कारण  उस  फूट  के  मार्ग  पर  चलने  वाले  व्यक्तियों  का  ही  नहीं  , व्यापक  पैमाने  पर   सम्पूर्ण  समाज  का  अहित  ही  हुआ  है   l 
बन्दर  और  बिल्ली  की कहानी  प्रसिद्ध  है   जिसमे  एक  रोटी  को     दो  बिल्ली  आपस  में  बाँट  न  सकने  के  कारण  बन्दर  के  हाथों  उन्हें  पूरी  रोटी  गंवानी  पड़ी  l 
भारत  में  फैली  हुई  जाति - पांति , ऊँच - नीच , भाषावाद , प्रांतवाद  , लिंग  भेद   आदि  के  नाम  पर  फैली  हुई  अलगाव  की  प्रवृतियां  सब  प्रकार  से  घातक  और  अवांछनीय  हैं   l   इनका  जितनी  जल्दी  अंत  हो  और  एकता  की  भावना  का  उदय  हो  , उसमे  हम  सब   का  हित  है  l