28 February 2021

WISDOM -----

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- "  महानता  एक  प्रतीक   है  l  जो  महान  दीखता  हो ,  जिसे  सब  जानते  हों ,  जो  ख़बरों  में  प्रमुखता  से  हो  ,  वास्तव  में   वह  महान  हो  ,  यह  जरुरी  नहीं   l   महानता  की  झलक  देखनी  है  तो   उस  बच्चे  में  भी   दीख  सकती  है  ,  जो  अनुशासित  है   और    अपने  बड़ों  से  भी    यही  अपेक्षा  करता  है   l   घर  में  बाहर  से  आकर   काम  करने  वाली   वह  महिला  भी  महान  है  ,  जो  माँ - बाप   की अनुपस्थिति  में  बच्चे  को  माँ  का  दुलार  देती  है  ,  उसकी  परवरिश  का  जिम्मा  लेती  है   l   सड़क  पर  चलता  हुआ  वह  युवक  भी  महानता  की  श्रेणी  में  आता  है  ,  जो  अपने  समय  व  पैसे  की  परवाह    किए   बगैर  किसी   जरूरतमंद  की  मदद  के  लिए   आगे  बढ़ता  है   l   इस  तरह  ऐसे  कई  उदाहरण  हैं  ,  जो   महानता  की  झलक   दिखलाते  हैं   l   महानता  के  इन  लक्षणों  को  जो  जीवन  भर   बनाए   रखते  हैं   ,  इन्हे  अपने  व्यक्तित्व   का  अभिन्न  अंग   बना   लेते हैं  ,  वे  ही  एक  दिन  महानता   का  शिखर   छूते   हैं   l  "  कन्फ्यूशियस   के  अनुसार   ---  जो  साधारण  हैं  ,  वे  भी  महान  हैं   क्योंकि  महानता   हमारी  सोच  में  है  ,  यह  हमारे  अंदर   बसती   है   l '