8 January 2018

WISDOM ----- प्रवचन नहीं, आचरण जरुरी है

  भगवान  बुद्ध  ने  अपने  शिष्यों  को  पीड़ितों  की  सेवा  करने  के  लिए  गाँव  भेजा  l  शिष्यों  ने  आकर  बताया  कि    ' हमने  बहुत  समझाने  का  प्रयास  किया  लेकिन  कोई  हमारी  बात  सुनना  ही  नहीं  चाहता   l इसलिए  हम  कोई  सेवा कार्य  नहीं  कर  सके  l  '
  भगवान  बुद्ध  ने  उनकी बातों को  ध्यान  से  सुना  और  स्वयं  उठकर गाँव   की   ओर  चल  दिए  l  उनके  साथ  उनके  कुछ  प्रमुख  शिष्य  भी  चल  पड़े  l   भगवान बुद्ध   गाँव  पहुँचने  के  बाद  वहां  सफाई  करने  लगे ,  अपने  हाथ  से  उन्होंने  झाड़ू  लगाईं ,  कचरा  उठाया   फिर  शिष्यों  के  साथ  मिलकर  भोजन  बनाया  l  सभी  गाँव  के  लोगों  को  प्यार  से  बुलाकर  भोजन  कराया  l  वहां  महोत्सव  जैसा  उमंग  भरा  वातावरण  निर्मित  हो  गया   l  इसके  पश्चात  भगवान  बुद्ध  ने  सभी  गाँव  वालों  से  पूछा  --- "  आप लोगों  को  भोजन  तो  ठीक  मिलता  है  न  ?  वर्षा  होने  वाली  है  , अपने  घरों  को  ठीक  कर  लें  ,  यदि  कोई  आवश्यकता  हो  तो  हम  सभी  आपकी  सहायता  करने  को  तत्पर  हैं  l  "  फिर  तथागत  ने  कहा --- यदि  आपकी  अपने  परिवार  से संबंधित  या जीवन   की   कोई समस्या  है  तो  निस्संकोच  कहें  l  "  गांववालों  ने  अपनी  अनेक  समस्याएं  सबके  सामने  व  एकांत  में  भी  बतायीं  और  सबका  समाधान  पाया  l
  जब   भगवन  बुद्ध  वापस  संघ  की  ओर  प्रस्थान  करने  को  उठे   तो  सब  गाँव  वालों  की  आँखों  में  आंसू  आ  गए  और  सजल  नेत्रों  से  उन्हें  भावभरी  विदाई  दी  l 
  संध्या  के  समय  शिष्यों  ने  पूछा --- " प्रभु  !  आपने  लोगों  को  न  तो  ध्यान  की  बात  बताई  और  न  ही  कोई  गूढ़  बात  कही  l  फिर  भी  वे  गाँव  के  लोग  कैसे  आपके  प्रति  समर्पित  हो  गए  l "
  भगवान  बुद्ध  बोले ---- " वत्स  !  सेवा  का  अर्थ  उपदेश  देना  नहीं  ,  वरन  लोगों  को  उनके  कष्ट  से  मुक्ति   दिलाना  है  l  जिसको  भूख  लगी  है  ,  वह  भला भोजन  के  अलावा  और  क्या  सोच  सकता  है  ?  जिसके  सिर  पर  छत  नहीं  ,  वह  कैसे  ध्यान  की  बात  समझ  सकता  है  ?  जिसकी  दैनिक  जीवन  की  समस्याएं  इतनी  गहरी  हों   वह  भला  ध्यान  और  अध्यात्म  की  बातों  को  कैसे  आत्मसात कर  सकता  है  ?   उनके  कष्टों  का  समाधान  करना  ही  उन्हें  ध्यान  की  ओर ले  जायेगा   l  "
भगवान  तथागत  की वाणी  से  भिक्षुओं  को  समझ  में  आ  गया   कि  त्रुटि  कहाँ  हुई   l  उन्होंने  केवल  बातें  कहीं    और  भगवान  बुद्ध  ने   उन  बातों  को  जीवन  में  उतारकर    कर्म  के  माध्यम  से  अभिव्यक्त  किया  l