22 August 2019

WISDOM -------

  महाराजा  सगर  की  दोनों  रानियों  ने  तप  किया  और  वरदान  मांगने  के  अवसर  पर   एक  ने  हजार  पुत्र  मांगे  और  दूसरी  ने  एक   l  समुचित  भावनात्मक  पोषण  के  अभाव  में   हजारों  पुत्र  झगड़ालू , उपद्रवी  और  अनाचारी  निकले  l   अंततः  अपने  दर्प  एवं  दुर्बुद्धि  के  कारण  महर्षि  कपिल  के  साथ  अन्याय  कर  बैठे   और  मारे  गए   l  दूसरी  रानी  का  जो  एकमात्र  अकेला  पुत्र था  ,  उसने  समुचित  भावनात्मक  पोषण  , मार्गदर्शन  प्राप्त  कर  महर्षि  कपिल  को  भी  प्रसन्न  कर  लिया   तथा  राज्य  का    समुचित  संचालन  भी  किया  एवं  कीर्ति  का  भागीदार  भी  बना  l  नीतिशास्त्र  में  इसीलिए  कहा  भी  गया  है -----
   वरमेको  गुणी  पुत्रो ,  न  च  मूर्खा:  शतान्यपी  l  एकश्चन्द्रस्तमो  हन्ति ,  न  तु  तारा  सहस्त्रशः  l
  अर्थात  सैकड़ों  मूर्ख  बेटों  की  अपेक्षा  एक  ही  गुणी  पुत्र  श्रेष्ठ  है   l  जैसे  अकेला  चाँद  अंधकार  को  दूर  करता  है  ,  हजारों  तारे  नहीं   ल  उसी  प्रकार  एक  गुणी  पुत्र   समाज  में   अंधकार  दूर  करता  व  प्रकाश  फैलाता  है   l