2 January 2019

WISDOM ---- सच्ची सेवा उपदेशों से नहीं , आचरण से होती है

  एक  बार  भगवान  बुद्ध  ने  अपने  शिष्यों  को  गाँवों  में    सेवा  कार्य  करने   भेजा     l   भिक्षुक  गांवों  में  जाकर  लोगों  को  तथागत  की  वाणी  और  ध्यान  आदि  का  उपदेश  देने  लगे  l  ग्रामीणों  ने  उनकी  कुछ  नहीं  सुनी   और  मान - सम्मान  भी  नहीं  दिया  l भिक्षुक  निराश - हताश  होकर  लौट  आये  l  भगवान  बुद्ध  ने  उनकी  बातों  को  ध्यान  से  सुना ,  फिर  उठे  और  गाँव  की  ओर  चल  पड़े  l  उनके  पीछे  अनेक  शिष्य  भी  चले  l 
 भगवान  बुद्ध  गाँव  पहुँचने  के  बाद  वहां  की  सफाई  करने  लगे ,  अपने  हाथों  से  झाड़ू  लगाईं , कूड़ा  उठाया  l इसके  बाद  अपने  शिष्यों  के  सहयोग  से खाना  बनाया   और  सभी  गाँव  के  लोगों  को  बुलाकर  प्यार  से खाना  खिलाया  l  गाँव  वालों  का  सुख - दुःख पूछा ,  आपका  घर  तो  सुरक्षित  है  ?  भोजन  आदि  तो  ठीक  मिलता  है  ?  आप  लोगों  की  कोई  भी  समस्या  है  तो  निस्संकोच  हमारे  सामने  रखें   l  गाँव  वाले  उत्साह पूर्वक  अपनी - अपनी  समस्या  प्रकट  करने  लगे ,  कुछ  लोगों  ने  अनुरोध  कर    एकांत  में  भगवान  बुद्ध  से  अपनी समस्या  का  समाधान  पाया  l चारों  और  दिव्य  और  स्वर्गीय  वातावरण  बन  गया  था   l    भिक्षुक  आश्चर्य  करने  लगे  कि  ऐसा  कैसे  हुआ   ?
 भगवान  बुद्ध  बोले ---- " वत्स  !  सेवा  का  अर्थ   उपदेश  देना  नहीं ,  वरन  लोगों  को   उनके  कष्टों  से मुक्ति  दिलाना  है  l    जिसको   भूख  लगी  है  , वह  भला  भोजन  के  अलावा  और  क्या  सोच  सकता  है  ?  जिसके  सिर  पर  छत  नहीं  है  , जीवन  में  अनेकों  समस्याएं   हैं  ,   वह  कैसे  ध्यान  और   अध्यात्म    की  बात  समझ सकता  है   l    उनके  कष्टों  का  समाधान  करना  ही  उन्हें  ध्यान  की  ओर  ले  जायेगा   l  
भिक्षुओं   ने  अपनी  त्रुटी  समझी   कि उन्होंने  केवल  बातें  कहीं , उपदेश  दिया    लेकिन  भगवान  बुद्ध  ने    उन  बातों  को  जीवन  में  उतारकर  कर्म  के  माध्यम  से   अभिव्यक्त  किया   l