14 November 2023

WISDOM -----

   महाभारत  चल  रहा  था  l  कर्ण  और  अर्जुन  के  बीच भयंकर  बाण  वर्षा  चल  रही  थी  l  अवसर  पाकर    एक  भयंकर  सर्प  कर्ण  के  तूणीर  में  घुस  गया  l  कर्ण  ने  बाण  निकाला   तो  स्पर्श  कुछ  अनोखा  लगा  l  उसने   सर्प  को   देखा  और  आश्चर्य  से  पूछा  ----- "  तुम  यहाँ  किस  प्रकार  आ  गए  l  सर्प  ने  कहा --- " अर्जुन  ने  एक  बार  खांडव  वन   में  आग  लगा  दी  l  उसमे  मेरी  माता  जल  गई  l  तभी  से  मेरे  मन  में  प्रतिशोध  की  आग  जल  रही  है   l  मैं  इस  ताक  में  था  कि  कोई  अवसर  मिले   और  मैं  अर्जुन  के  प्राण  हरण  करूँ  l  आप  मुझे  तीर  के  स्थान  पर  चला  दें  l  मैं  जाते  ही  अर्जुन  को  डस  लूँगा  l  आपका  शत्रु   भी  मर  जायेगा   और  मेरा  प्रतिशोध  भी  शांत  हो  जायेगा  l "  कर्ण  ने  कहा  ---- "  अनैतिक  उपाय  से  सफलता  पाने  का  मेरा   तनिक  भी  विचार  नहीं  है  l  सर्प  देव    आप    वापस  लौट  जाएँ   l  "  जो  वीर  होते  हैं , जिनमें  'शौर्य  '  होता  है   वे  कभी  अनैतिक   तरीके  से  सफलता  नहीं  चाहते  l  लेकिन  जैसे  जैसे  कलियुग   अपने  चरम  पर  पहुँच  रहा  है  ,  संसार  में  कायरता  बढ़ती  जा  रही  है   l  साम -दाम , दंड -भेद  हर  तरीके  से  लोग   दूसरे  को  धक्का  देकर  आगे  बढ़ना  चाहते  हैं    और  इस  दौड़  में  सबसे  ज्यादा  खतरा   बाहरी  जीव -जंतुओं  से  नहीं  ' आस्तीन  के  साँपों  '  से  है   l