23 January 2018

जिनका जीवन और पूरी दिनचर्या ईश्वर के प्रति अडिग निष्ठा और कर्मयोग के अनुसार संचालित थी ----- सुभाषचंद्र बोस

  आजाद  हिन्द  सरकार  के  सूचना    मंत्री  एस . ए. अय्यर  ने  लिखा  है ---- '  सभी  चुनौतियों  का  सामना  करने  की  शक्ति   उन्होंने  ईश्वर  में  अपनी  अगाध  निष्ठा  से  प्राप्त  की  थी  l  नेताजी  के  आकर्षक  व्यक्तित्व   और  शक्तिशाली   नेतृत्व   का   यह  रहस्य   था  l  " 
   सुभाषचंद्र  बोस   को  गुपचुप  तरीके  से   बर्मा  की  मांडले  जेल  भेज  दिया  गया   l  यह  मांडले  जेल  - लाला  लाजपतराय , लोकमान्य बाल गंगाधर  तिलक   जैसे  महान  देशभक्तों  के   कठोर  तप  की  साक्षी  रही  थी  l  तपस्वी  क्रांतिकारियों  की  इस  पावन  तपोभूमि  में   पहुंचकर  सुभाष  आनंदित  हो  उठे  l
          2 मई 1925  को  उन्होंने  महर्षि  अरविन्द  के  प्रिय  शिष्य  और  अपने  सहपाठी  तथा  मित्र  दिलीपकुमार राय  को  पत्र  लिखकर  अपने  ह्रदय  के  उद्गार  व्यक्त   करते  हुए  लिखा ---- "  यहाँ  रहकर  मेरे  विचारों  में  परिवर्तन  होने  लगा  है  l  इस  जेल  का  वातावरण  मेरे   मस्तिष्क  में  दार्शनिक  विचार  उत्पन्न  कर  देता  है  l  यहाँ  मैंने  जीवन  के  बारे  में   जो  कुछ  सीखा  है  और  जो  दर्शन  मैंने  पढ़ा  है , वह  मेरे  लिए  लाभकारी  है  l  यदि  मनुष्य  स्वस्थ  रहे  और  उसे  चिंतन  के  लिए  समय  मिल  जाये   तो  यहाँ  के  कष्ट  भी  सुखमय  लगने  लगते  हैं  l  इसी  जेल  की कोठरी  में  रहकर  लोकमान्य  तिलक  ने  गीता  रहस्य   की  रचना  की  l  स्पष्ट  है  कि  बेड़ियों  में  जकड़े  होने  पर  भी   लेखन  के  समय   उनकी  आत्मा  में  परम  संतोष  और  गहन  शान्ति  थी   l  हम  ऐसे  महान  देशभक्तों  के   पदचिन्हों  पर  चल  रहे  हैं  , यह  सोचकर  मुझे  गौरव  और  संतोष  का  अनुभव  हो  रहा  है  l  मुझे  विश्वास  है  कि  इस  जेल  में  मुझे  भी  आत्मिक  शान्ति  मिलेगी  l  "
      और  मांडले  की  यह  जेल  उनके  लिए  तपोभूमि  बन  गई  l  यहाँ  रहते  हुए  उन्होंने  स्वयं  का  विश्लेषण  किया  , अपने  चिंतन  और  जीवन  को  निखारा  l  उन्हें  ऐसा  लगा  कि  जैसे  एक  ईश्वरीय  तेज  ,  अन्तरिक्ष  से   उनमे  अवतरित  हो  रहा  है   l  जेल  की  यातनाएं  उनकी  साधनाओं  में  परिवर्तित  होने  लगीं  l  बीतते  समय  के  साथ  उनमे  एक  नव  व्यक्तित्व  विनिर्मित  होने  लगा   l  वे  सबके  प्रिय  महान  सेनानी ,   महानायक  नेताजी  बन  गए   l