पंडित राधावल्लभ तिवारी उच्च कोटि के संत थे | वे सतत आध्यात्मिक अनुष्ठानो में निरत रहते थे
एक बार एक सुप्रसिद्ध तांत्रिक ने उन पर गम्भीर तांत्रिक क्रिया की , पर वे उससे तनिक भी विचलित नहीं हुए | उनके एक शिष्य ने जब उनसे इसका कारण पूछा तो वे बोले -- " विवेक और वैराग्य दो ऐसे हथियार हैं , जिनसे परमेश्वर की माया काटी जा सकती है , तो ऐसे तुच्छ मायाजाल की भला क्या औकात | परमेश्वर की भक्ति करने वाले का पथ स्वयं भगवान सुरक्षित करते हैं |
' अंतरिक्ष और आकाश से परे वह अनंत धैर्य वाला है , पर वह अपने प्रभाव से बलशाली भी है | वह सबसे अधिक शक्तिशाली और सर्वव्यापक होकर भी निर्दोष की रक्षा करता है और पापी को दंड देता है | '
एक बार एक सुप्रसिद्ध तांत्रिक ने उन पर गम्भीर तांत्रिक क्रिया की , पर वे उससे तनिक भी विचलित नहीं हुए | उनके एक शिष्य ने जब उनसे इसका कारण पूछा तो वे बोले -- " विवेक और वैराग्य दो ऐसे हथियार हैं , जिनसे परमेश्वर की माया काटी जा सकती है , तो ऐसे तुच्छ मायाजाल की भला क्या औकात | परमेश्वर की भक्ति करने वाले का पथ स्वयं भगवान सुरक्षित करते हैं |
' अंतरिक्ष और आकाश से परे वह अनंत धैर्य वाला है , पर वह अपने प्रभाव से बलशाली भी है | वह सबसे अधिक शक्तिशाली और सर्वव्यापक होकर भी निर्दोष की रक्षा करता है और पापी को दंड देता है | '