इस सत्य को समझाने वाली एक कथा है ---- किसी नगर का प्रमुख शहद खा रहा था l उसके प्याले में से थोड़ा सा शहद टपककर जमीन पर गिर पड़ा l
उस शहद को चाटने मक्खियां आ गईं l मक्खियों को इकट्ठी देख छिपकली ललचाई और उन्हें खाने के लिए आ पहुंची l छिपकली को मारने बिल्ली पहुंची , बिल्ली पर दो - तीन कुत्ते टूट पड़े l बिल्ली भाग गई और कुत्ते आपस में लड़कर घायल हो गए l
कुत्तों के मालिक अपने - अपने कुत्तों के पक्ष का समर्थन करने लगे और दूसरे का दोष बताने लगे l उस पर लड़ाई ठन गई l लड़ाई में दोनों ओर की भीड़ बड़ी और आखिर सारे शहर में बलवा हो गया l दंगाइयों को मौका मिला , उन्होंने लूटपाट की , कई जगह आग लगा दी l
नगर प्रमुख ने जांच कराई और इतने बड़े उपद्रव का कारण पूछा तो मंत्री ने जांचकर बताया कि --- राजन ! आपके द्वारा असावधानी से गिराया हुआ थोड़ा सा शहद ही इतने बड़े दंगे का कारण बन गया है l '
यह बात सबको समझ में आई कि थोड़ी सी असावधानी मनुष्य के लिए कितना बड़ा संकट उत्पन्न कर सकती है l
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी का कहना है ---- ' सद्बुद्धि ही संसार में समस्त कार्यों में प्रकाशित है l यही सबसे बड़ी सामर्थ्य है l हम ईश्वर से सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना करें l '
उस शहद को चाटने मक्खियां आ गईं l मक्खियों को इकट्ठी देख छिपकली ललचाई और उन्हें खाने के लिए आ पहुंची l छिपकली को मारने बिल्ली पहुंची , बिल्ली पर दो - तीन कुत्ते टूट पड़े l बिल्ली भाग गई और कुत्ते आपस में लड़कर घायल हो गए l
कुत्तों के मालिक अपने - अपने कुत्तों के पक्ष का समर्थन करने लगे और दूसरे का दोष बताने लगे l उस पर लड़ाई ठन गई l लड़ाई में दोनों ओर की भीड़ बड़ी और आखिर सारे शहर में बलवा हो गया l दंगाइयों को मौका मिला , उन्होंने लूटपाट की , कई जगह आग लगा दी l
नगर प्रमुख ने जांच कराई और इतने बड़े उपद्रव का कारण पूछा तो मंत्री ने जांचकर बताया कि --- राजन ! आपके द्वारा असावधानी से गिराया हुआ थोड़ा सा शहद ही इतने बड़े दंगे का कारण बन गया है l '
यह बात सबको समझ में आई कि थोड़ी सी असावधानी मनुष्य के लिए कितना बड़ा संकट उत्पन्न कर सकती है l
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी का कहना है ---- ' सद्बुद्धि ही संसार में समस्त कार्यों में प्रकाशित है l यही सबसे बड़ी सामर्थ्य है l हम ईश्वर से सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना करें l '