पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने लिखा है --- 'इस दुनिया में सुखी और संतुष्ट जीवन जीने के लिए व्यवहार करने की कला सीखनी चाहिए l सांसारिक व्यक्तियों की वृत्तियाँ दूषित होती हैं , इस कारण उनका व्यवहार कभी अच्छा और कभी बुरा होता है l उनसे रिश्ता निभाने का सही तरीका यही है कि उनसे उनके अच्छे भावों व विचारों के बारे में ही बातचीत की जाये , कभी भी किसी के प्रति बुराई को अपनी चर्चा का विषय न बनाया जाये l हम किसी भी व्यक्ति की बुराई के कारण उस व्यक्ति से नफरत करने लगते हैं , उसके प्रति नकारात्मक सोचने लगते हैं , उससे क्रोधित होते हैं l इस तरह दूसरे व्यक्ति की बुराई तो यथावत रहती है , लेकिन उसकी लगातार निंदा करने के कारण हम अपनी वृत्तियाँ भी दूषित कर लेते हैं l हम अपने अन्दर की नकारात्मकता को दूर करते हुए सकारात्मकता को बढ़ावा दें l