25 August 2022

WISDOM -----

   धर्म  के  नाम  पर  लड़ाई -झगड़े  बहुत  युगों  से  हो  रहे  हैं  l  हमारे  ऋषि , आचार्य जी  जानते  थे  कि  जैसे जैसे  कलियुग  अपनी  प्रौढ़ावस्था  में  आएगा  , मनुष्य  पर  दुर्बुद्धि  का  प्रकोप  बढ़ेगा  इसलिए  उन्होंने  लघु  कथाओं  के  माध्यम  से  धर्म  के  अर्थ  को  समझाया  , जिससे  सामान्य  जन  धर्म  का  सार  समझ  सके  और  अपने  बहुमूल्य  मानव  जीवन  को  आपस  में  लड़ -झगड़कर  बरबाद  न  करे -------  1 . काशी  के  राजा  ब्रह्मदत्त   के  शासन  काल   में   धर्मपाल  नामक   एक  सदाचारी  और  धर्मनिष्ठ  ब्राह्मण  ने  अपने  पुत्र  को  तक्षशिला  अध्ययन  के  लिए  भेजा  l  एक  दिन  किसी  प्रसंगवश  युवक  ने  अपने  गुरु  से  कहा ---- " गुरुदेव  !  हमारे  कुल  में  सात  पीढ़ियों  से  कोई  युवावस्था  में  नहीं  मरा  l " आचार्य  विद्यार्थी  की  बात  का  सत्य  जानने  के  लिए   विद्यालय  को  दूसरे  की  देखरेख  में   सौंपकर  काशी  रवाना  हुए  l  रास्ते  में  उन्होंने  बकरी  की  कुछ  हड्डियाँ  लीं   और  काशी  में  जाकर  धर्मपाल  ब्राह्मण  से  बोले  --- "  बहुत  दुःख  की  बात  है  , तुम्हारा  पुत्र  असमय  मृत्यु  को  प्राप्त  हो  गया  l "  यह  सुनकर  धर्मपाल  हँसने  लगा   और  बोला ---- " महाराज  !  कोई  और  मरा  होगा  ,  हमारे  कुल  में  सात  पीढ़ियों  से  कोई  युवा  नहीं  मरा  l "  आचार्य  बोले --- " ये  हड्डियाँ  तुम्हारे  पुत्र  की  हैं  l  " धर्मपाल  ने  उन्हें   बिना  देखे  ही  कहा  --- " यह  हड्डियाँ  कुत्ते -बकरी  की  होंगी  ,  ये  हमारे  परिवार  से  किसी  की  हो  ही  नहीं  सकतीं  l "  अंत  में  आचार्य  ने  सत्य  बताया   और  उनके  कुल  में   सात  पीढ़ियों  से  किसी  युवा  की  मृत्यु  न  होने  का  रहस्य  पूछा  l   धर्मपाल  ने  कहा --- " महाराज  ! हम  धर्म  का  आचरण  करते  हैं  , सत्य  बोलते  हैं ,  जरुरतमंदों  की  सेवा  करते  हैं  और  दान  देते  हैं  l  इस  प्रकार  धर्म  की  रक्षा  करने  पर  धर्म  हमारी  रक्षा  करता  है  l  "   

2. जंगल  में  शिकारी  के  पीछे  बाघ  पड़  गया  l  शिकारी  भागकर  पेड़  पर  चढ़  गया  l  उसी  वृक्ष  पर  एक  रीछ  भी  बैठा  था  l  बाघ  वृक्ष  के  नीचे  बैठकर   मनुष्य  या  रीछ  के  नीचे  उतरने  का  इंतजार  करने  लगा  l  बहुत  देर  हो  गई  तो  उसने  रीछ  से  कहा --- " यह  मनुष्य  हम  दोनों  का  शत्रु  है  , तू  इसे  धक्का  मार , मैं  इसे  खाकर  चला  जाऊँगा   और  तेरा  जीवन  बच  जायेगा  l " रीछ  ने  कहा --- " नहीं  ,यह  यह  मेरा  धर्म  नहीं  है  l "  आधी  रात  को  रीछ  की  आँख  लग  गई   l  अब  बाघ  ने  शिकारी  से  कहा --- " वह  रीछ  को  धक्का  मार  दे  तो  उसकी  जान  बच  जाएगी  l " शिकारी  ने  रीछ  को  धक्का  मार  दिया  l  किन्तु  संयोग  से  गिरते -गिरते  वृक्ष  की  एक  डाल  रीछ  की  पकड़  में  आ  गई   l  अब  बाघ  ने  रीछ  से  कहा --- " देखा ,  जिस  मनुष्य  की  तूने  रक्षा  की  ,  वही  तुझे  मारने  को  तैयार  हो  गया   l  अब  तू  इसे  धक्का  मार  l " रीछ  ने  कहा --- " वह  भले  ही  अपने  धर्म  से  विमुख  हो  जाये  ,  परन्तु  मैं   ऐसा    नहीं  करूँगा  l  " परोपकारी  व  भावनाशील   कभी  किसी  का  अहित  नहीं  करते  l  दूसरे  के  अपकार  के  बदले , वे  उपकार  ही  करते  हैं  , किसी  का  अहित  करने  की  सोचते  भी  नहीं   l 

WISDOM -----

 ' जो  दूसरों  की  सहायता  करते  हैं, उन्हें  संकट  में  सहायता  अवश्य  मिलती  है  l '----- एक  नदी  के  किनारे  वृक्ष  की  डाल  पर  एक  कबूतर  बैठा  था  l  उसने  देखा  कि  नदी  में   एक   चींटी  डूब  रही  है   और  बड़े  प्रयास  के  बावजूद  भी  किनारे  पर  नहीं  आ  पा  रही  है  l  कबूतर  ने  एक  पत्ता  चींटी  के  पास  पानी  में  गिरा  दिया  l  चींटी  उस  पत्ते  पर  चढ़  गई  ,  पत्ता  बहकर  किनारे  पर  लग  गया  l  चींटी  ने  पानी  से  बाहर  आकर  कबूतर  का  आभार  व्यक्त  किया   कि  वह  इस  एहसान  को  कभी  नहीं  भूलेगी  l   एक  दिन  जब  चींटी  अपने  बिल  के  बाहर   घूम  रही  थी  ,  तभी  उसने  देखा  एक  बहेलिया  चुपके  से  कबूतर  को  अपने  बाँस  में  फँसाने  का  प्रयास  कर  रहा  है  l  कबूतर  अपनी  धुन  में  था  , उसने  बहेलिये  को  नहीं  देखा  l  चींटी  ने  कबूतर   को  बचाने  के  उद्देश्य  से  बहेलिये  के  पैर  में  काट  लिया  ,  जिससे  बाँस  हिल  गया   और  पेड़  के  पत्ते  खड़क  गए   और  कबूतर  सावधान  होकर  उड़  गया  l