21 March 2018

WISDOM ----- जिसका आचरण शुद्ध, चरित्र उज्ज्वल और मन्तव्य नि:स्वार्थ है उसके विचार तेजस्वी होंगे, जिन्हें कोई भी व्यक्ति स्वीकार करने के लिए सदैव तत्पर रहेगा

 साधारणत:  मनुष्य  अपने  संस्कारों  के  प्रति  बड़ा  दुराग्रही  होता  है  l  बुरे  से  बुरे  अनुपयोगी  तथा  अहितकर  संस्कारों  के  स्थान  पर  वह  शुभ  एवं  समय  सम्मत  संस्कारों  को   आसानी  से  सहन  नहीं  कर  पाता  l  समाज  में  इस  प्रकार  के  प्राचीन  संस्कार  रखने  वाले   लोगों   की  कमी  नहीं  होती  और  वे  उनके  प्रति   किसी  सुधार  का  सन्देश  सुनते  ही   अनायास  ही  संगठित  होकर  नवीनता  के  विरुद्ध  खड़े  हो  जाते  हैं  l  ऐसे  अवसर  पर  किसी  शक्ति  का  सहारा  लेकर   उन्हें  नवीन  संस्कारों  में  दीक्षित  करने  का  प्रयत्न  किया  जाता   है  तो  एक  संघर्ष  की  स्थिति  पैदा  हो  जाती  है   जिससे  समाज  अथवा  राष्ट्र  शक्तिशाली  होने  के  बजाय  निर्बल  ही  बन  जाता  है  l 
  अत:  समझदार  समाज सुधारक  ,  बुद्धिमान  राष्ट्र नायक  विचार  बल  से  ही  किसी  परिवर्तन  को  लाने  का  प्रयत्न  किया  करते  हैं  l  हठ  से  हठ  का  जन्म  होता  है  l  किसी  बाह्य  शक्ति  का  सहारा  लेने  की  अपेक्षा   अपने  उन  विचारों  को  ही  तेजस्वी  बनाना   ठीक  होता  है   जिनको  कोई  हितकर  समझकर  समाज  अथवा  व्यक्ति  में  समावेश  करना  चाहता  है   l 
जिसका  आचरण  शुद्ध , चरित्र   उज्ज्वल  और  मन्तव्य  नि:स्वार्थ  है ,  उनके    विचार  तेजस्वी  होंगे  , जिन्हें  क्या  साधारण  और  क्या  असाधारण   कोई  भी  व्यक्ति  स्वीकार  करने  के  लिए  सदैव  तत्पर  रहेगा  l