21 March 2013

SUCCESS

लक्ष्य का निर्धारण ठीक हो तो असफलता भी सफलता में बदल जाती है | बिखराव से असफलता हाथ लगती है और द्रढ़ संकल्प व सुनियोजन से सफलता |
सिफलिस रोग की औषधि खोजने वाले प्रसिद्ध विज्ञानी डा.ऐर्लिक ने अपनी दवा का नाम '606 'रखा | ऐसा इसलिये क्योंकि उन्होंने 605  बार बुरी तरह असफल रहने के बाद 606 वीं बार सफलता पाई थी | इस विलक्षण नाम के पीछे उद्देश्य मात्र इतना था कि लोग यह जान सकें कि असफलता ही सफलता की जननी है | असफलता से निराश नहीं होना चाहिए |      
समय ही जीवन और श्रम ही वैभव है | कौन कितने दिन जिया ,इसका लेखा -जोखा जन्म दिन से लेकर मरण के दिन गिनकर नहीं ,वरन इस आधार पर लगाया जाना चाहिए कि किसने अपने समय का उपयोग महत्वपूर्ण प्रयोजन के लिये किया | आदि शंकराचार्य मात्र 32 वर्ष जिये | विवेकानंद ने 36 वर्ष की स्वल्प आयु पाई | रामतीर्थ 33 वर्ष की आयु में ही चल बसे | ऐसे अनेक व्यक्ति इस संसार में हुए हैं जिन्हें लंबी अवधि तक जीने का अवसर नहीं मिला ,पर उन्होंने अपने समय का श्रेष्ठतम उपयोग किया | कितने ही लोग लंबी आयु तक जीते हैं ,उनका आधा समय कुचक्रों और शेष समय आलस्य -प्रमाद में चला जाता है | इसे वे पहले तो जान नहीं पाते किंतु जब विदाई का दिन आता है तो आँखे खुलती हैं और हाथ मलते हुए रुधे कंठ और भरी आँखों से इतना ही कह पाते हैं कि उन्होंने बहुमूल्यअवसर निरर्थक कामों में गंवाया |