श्रीमद भगवद्गीता में भगवान कहते हैं कि दुराचारी से दुराचारी के लिए भी उनकी दृष्टि बड़ी सहानुभूतिपूर्ण है l किसी से कोई गलती हो गई है तो इसका अर्थ यह नहीं कि उसके लिए अब सब द्वार बंद हो गए हैं l भगवान कहते हैं ---- यदि कोई बहुत ही दुराचारी अनन्य भाव से मेरी उपासना करता है तो वह भी साधु कहने योग्य हो जायेगा l ऐसा भगवद भक्त कभी नष्ट नहीं होता l भगवान की स्पष्ट घोषणा है कि भक्ति के माध्यम से पापी भी तर जाता है l भगवान ने सदन कसाई , अजामिल और गणिका को भी तार दिया l भगवान कहते हैं जिनसे गलतियां हो गई हैं , उनके लिए भी मार्ग है l भगवान मात्र सत्पुरुषों का नहीं , बुरों का भी भला करने आते हैं l इसके लिए मार्ग कहीं से भी निकल आता है l दुराचारी भी सन्मार्ग मिलने पर कल्याण पा जाता है l