14 May 2022

WISDOM -----

   ' नशा  नाश  की  जड़  है  '  यह  कथन  केवल  इस  युग  में  ही  सत्य  नहीं  है  ,  यह  उस  युग  में  भी  सत्य  था  जब  स्वयं  भगवान  श्रीकृष्ण  इस  धरती  पर  थे  l    महाभारत  के  महायुद्ध  में  जब   कौरव  वंश  का  अंत  हो  गया   तब  क्रोध  में  आकर  गांधारी  ने  भगवान  श्रीकृष्ण  को   शाप  दिया  था   कि  जैसे  उसके  कौरव  वंश  का  अंत  हुआ  वैसे  ही   इस  महायुद्ध  के  छत्तीस  वर्ष  बाद   कृष्ण  के    वंश  का  सर्वनाश  हो  जायेगा   l   माता  गांधारी  के  शाप  की  अवधि  निकट   आ  रही  थी   l   उन  दिनों  द्वारका  में  मद्य  निषेध  था   l  नशे  के  विरोध  में  चाहे  कितने  ही  कानून  बना  दो ,  जब  इसकी  लत  लगती  है  तो  लोग  छिपकर  पीते  है  l  उसके  दुष्परिणाम  भी  जानते  हैं  लेकिन  फिर  भी  पीते  हैं   l  चाहे  हमारे  सामने  भगवान  भी  हों   लेकिन  मन  पर  वश  नहीं  ,  तो  भगवान  भी  क्या  करें  ?                                    भगवान  श्रीकृष्ण  अपने  परम  मित्र  उद्धव जी  से  चर्चा  करते  हुए  कहते  हैं  --- " उद्धव  !  यादव  सुराप्रिय  हैं  ,  स्वयं  बलराम  को  भी  यहाँ  द्वारका  में  मद्यपान  का  निषेध  अप्रिय  है   l  सब  चोरों  की  तरह  छिपकर   चुपचाप    सुरापान  करते  हैं   l   जिस  क्षण  यादवों  को  इस  बात  का  ज्ञान  हो  जायेगा  कि  मैं  कृष्ण   उनके  मद्यपान  के  कर्म  को  जानता  हूँ   फिर  भी  कुछ  नहीं  करता  ,  उसी  क्षण  मर्यादा  लुप्त  हो  जाएगी  ,  उसके  बाद  ये  यादव  कृष्ण  के  सम्मुख   सुरापान  करेंगे  ,  मैं  उसे  अनदेखा  नहीं  कर   सकूँगा  l  वह  मेरे  लिए  बहुत    भारी    पड़ेगा  l  "  उद्धव जी  ने  कहा --- "  फिर  आप  उन्हें  रोकते  क्यों  नहीं   ? "  कृष्ण जी  ने  कहा --- "  अब  उन्हें  रोकने  का  प्रयत्न  करना  व्यर्थ  है   l  अब  इन  सब  यादवों  को  लेकर  मैं  तथा  बड़े  भैया  बलराम  प्रभासक्षेत्र  को  जायेंगे  l   मद्यनिषेध   तो  द्वारका  में  है  ,  प्रभासक्षेत्र  में  नहीं    l  यहाँ  की  नियंत्रित  वृत्तियाँ   वहां  अनियंत्रित  हो  जाएँगी   l  वहां  उसका  अमर्यादित  रूप   प्रकट  होगा   l  विवेक  बुद्धि    खो  जाएगी    और  बुद्धिनाश  से  ही   माता  गांधारी  के  वचन  यथार्थ  होंगे  ,  उनका  शाप  फलित  होगा   l   इस  सर्वनाश  को  हम  जानकर  भी  रोक  नहीं  पाएंगे   l  कृष्ण , बलराम  और  सब  यादवों  के  कर्म  अब  समाप्त  हो  गए  हैं   l  जिनके  कर्म  समाप्त  हो  गए  हों  उन्हें  ही  महाकाल  छूता  है   l "   महाभारत  में  वर्णन  है  कि  किस  तरह  यादव  नशे  में  आपस  में   लड़  पड़े  ,  यह  लड़ाई  इतनी  बढ़  गई  कि  भगवान  कृष्ण  के  पुरे  वंश  का  अंत  हो  गया    l   भगवान  कृष्ण  का    राधा  के   नाम  आखिरी   संदेश   कि   ' अब  इस  धरती  पर  उन  दोनों  का  मिलन  संभव  नहीं  है  '    उद्धव जी  को  ही  गोकुल  जाकर   राधा  को  देना   था  l