19 June 2023

WISDOM ------

  संत  स्वामी  करपात्री  जी  महाराज  ने  रामायण  मीमांसा  नामक  ग्रन्थ  की  रचना  की  l  ग्रन्थ  को  प्रकाशन  के  लिए  उन्होंने   प्रेस  में  भेज  दिया  l  बहुत  दिनों  तक  ग्रन्थ  प्रकाशित  न  होने  पर   उन्होंने  राधेश्याम खेमका जी  से  इसका  कारण  पूछा  l  उन्होंने  उत्तर  दिया --- " महाराज  , ग्रंथ  तो  तैयार  है  ,  लेकिन  कुछ  लोगों  का  मानना  है  कि   उसमें  आपका  एक  सुंदर  चित्र  छापा  जाए  l  चित्र  के  तैयार  होने  में   विलंब  हो  जाने  के  कारण   ही  ग्रन्थ  अब  तक   तैयार  नहीं  हो  पाया  l "  स्वामी जी  ने  तुरंत  प्रतिवाद  करते  हुए  कहा ----- "  ख़बरदार  !  ऐसी  गलती  नहीं  करना  l  मेरी  पुस्तक  भगवान  राम  के   पवन  चरित्र  पर  लिखी  गई  है  l  उसमें  मेरा  नहीं  ,  बल्कि  भगवान  श्रीराम  का   चित्र  होना  चाहिए  l  "  खेमका जी  ने  कहा --- " ठीक  है  ,  जैसा  आप  कहते  हैं  , वैसा  ही  होगा  l "कुछ  क्षण  मौन  रहकर  करपात्री  जी  बोले ---- "  संन्यासी  को   अपनी  प्रशंसा  व  प्रचार  से  बचना  चाहिए  l  समाज  के  लिए  अच्छे  विचार  उपयोगी  हैं  ,  न  कि  मेरे  चित्र  l  भगवान  श्रीराम  का  चित्र  देने  से  ही  ग्रंथ  की   गुणवत्ता  बढ़ेगी  l  "