9 December 2021

WISDOM ------

   मनुष्य  जीवन  है   तो  समस्याएं  आती - जाती  रहती  हैं   l   अधिकांश  लोगों  का  यह  स्वभाव   ही  होती  है  कि   वे  अपनी  परेशानियों  और  कष्टों  के  लिए  दूसरों  को  जिम्मेदार  ठहराते  हैं  l  सांसारिक  उलझनें  इतनी  हैं  कि   हम  अपने  भीतर  देख  ही  नहीं  पाते  कि   वास्तव  में  कमी  कहाँ  है  l   चाहें  पारिवारिक  स्तर  पर  देखें  या  विशाल  स्तर  पर    जब  कमी  अपने  में  होती  है ,  अपना  ही  दांव  कमजोर  होता  है    तब  दूसरे  उसका  फायदा  उठाते  हैं  l   इन  सबके  मूल  में  कारण  है  --- मनुष्य  की  कमजोरियां  -- ईर्ष्या , द्वेष , महत्वाकांक्षा , लोभ , लालच ,  कामना , वासना  -- इन  दुर्गुणों  के  कारण  व्यक्ति  विवेक शून्य  हो  जाता  है  ,  उसे   अच्छे - बुरे   का ज्ञान  ही  नहीं  होता  l   इन  सब  से  निपटने  के  लिए  हंस  जैसी  विवेक  बुद्धि  जरुरी  है  l   अपनी  और  अपने  परिवार  की  कमियों मको  दूर  कर  के  ही  बाहरी  तत्वों  को  पराजित  कर  सकते  हैं    l 

WISDOM -----

  ' बुरा  जो  देखन  मैं  चला  ,  बुरा  न  मिलिया  कोय  l   जो  दिल  खोजा  आपना  ,   मुझसा  बुरा  न   होय     l   अर्थात  यदि  बुराई  की  खोज  की  जाये  तो  सबसे  पहले   हमें  स्वयं  में  ही   बहुत  बुराई  मिल जाएगी   l   सबसे  पहले  हमें    अपने  अंदर  झाँक   कर  देखना  चाहिए  कि   कहीं  हम  में  ही   कोई  दोष  तो  नहीं  छिपा  है   l   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ----- " हमारी  सबसे  बड़ी  ग़लती     यह  होती  है   कि   हम  स्वयं  को  गलत  नहीं  ठहरा  पाते  ,  स्वयं  को  सदैव  सही  मानते  है   l   यह  हमारा  अहं   है  जो  हमें  यह   सोचने  के  लिए  मजबूर  करता  है  कि   हमसे  तो  कोई  भूल  हो  ही  नहीं  सकती  l  वास्तव  में  अपने  अंदर  के  दोषों  के  कारण  ही  हम   दूसरों  में  दोष  देखते  हैं  l   आत्मा  के  आवरण  में   छाई   कालिख  ही  हमें  बाहर  नजर   आती    है   l   यदि  यह  कालिख  साफ   कर  दी  जाये    तो बाहर  भी  सब  साफ - साफ   दीखने   लगेगा   l "-------- एक  बार  एक  युवा   दंपती   ने  अपने  नए  घर  में  प्रवेश  किया  l  घर  को  व्यस्थित  करने  के  बाद  वे   अपनी  बालकनी  में  बैठे  l   उनके  सामने  वाले  घर  में  कपड़े   सूख   रहे  थे  ,  उन्हें  देख  पत्नी  बोली  --- " कितने  गंदे   कपड़े   धोए   हैं  ,  इन्हे  कपड़े   धोने  का   तरीका  भी  नहीं  आता  l "  पति  ने  इस  बात  पर  ज्यादा  ध्यान  नहीं  दिया   l   कई  दिन  तक  जब  भी  बालकनी  में  बैठते  तो  पत्नी   पड़ोसी   के  कपड़े   धोने  की   बुराई  करती   l   एक  दिन  रविवार  को  जब  वे  दोनों  बालकनी  में  बैठे   तो  पड़ोसी   के  कपडे  बहुत  चमकदार  दिखे    तो  पत्नी  व्यंग्य  करते  हुए  बोली  --- " लगता  है  अब  इन्हे  कपड़े   धोने  का  तरीका  आ  गया  है  l  "  पति  ने  शांत  भाव  से  जवाब   दिया  ---- "  आज  सुबह  जल्दी    उठकर  मैंने  बालकनी  के   शीशे  साफ  कर   दिए  हैं    l   उनके  कपड़े   गंदे   नहीं थे  ,  हमारे  खिड़की  के  काँच   ही  गंदे  थे   "  यह  सुनकर   पत्नी बहुत  शर्मिंदा  हुई    और  उसने  निश्चय  किया  कि    किसी को   कुछ कहने  से  पहले  स्वयं    को  परखना   आवश्यक है  l