8 January 2022

WISDOM ----

 एक   जिज्ञासु  संत  कबीर  के  पास  पहुंचा  , बोला -- दो  बातें  सामने  हैं  --- संन्यासी  बनूँ  या  गृहस्थ  l    कबीर  ने  कहा  --- जो  भी  बनो  आदर्श  बनो  l   इसे  समझाने   के  लिए  उन्होंने  दो  घटनाएं  प्रस्तुत  कीं  l ---- अपनी  पत्नी  को  बुलाया  l  दोपहर  का  प्रकाश  तो  था  ,  पर  उन्होंने  दीपक  जला  लाने  के  लिए  कहा    ताकि  वे  अच्छी  तरह  कपड़ा   बुन   सकें  l  पत्नी  दीपक  जला  लायी  और  बिना  कुछ  बहस  किए   रखकर  चली  गई  l   कबीर   ने  कहा  --- गृहस्थ  बनना  हो  तो  परस्पर  ऐसे  विश्वासी  बनना   कि   दूसरे  की  इच्छा  ही  अपनी  इच्छा  बने   l    दूसरा    उदाहरण  संत  का  देना  था  l   वे  जिज्ञासु  को  लेकर   एक  टीले   पर  गए  ,  जहाँ  वयोवृद्ध  महात्मा  रहते  थे  l   वे  कबीर  को  जानते  न  थे  l   नमाज  के  उपरांत  उनसे  पूछा  --- आपकी  आयु  कितनी  है  ?   महात्मा  बोले --- अस्सी  बरस  l   इधर - उधर  की  बातों  के  बाद  कबीर  ने   कहा --- बाबाजी ,  आयु  क्यों  नहीं  बताते  ?  संत  ने  शांति  से  कहा --- बेटे , अभी  तो  बताया  था , अस्सी  बरस  l  तुम  भूल  गए  हो  l '  टीले   से  आधी  चढ़ाई  उतर  लेने  पर   कबीर  ने  संत  को  जोर  से  पुकारा   और  नीचे   आने  के  लिए  कहा   l   संत  हाँफते -हाँफते   चले  आये   और  कारण  पूछा  l   तो  फिर  कबीर  ने  वही  प्रश्न  किया  --- आपकी  आयु  कितनी  है  ?   संत  को  तनिक  भी  क्रोध  नहीं  आया  l   वे  उसे  पूछने  वाले  की   विस्मृति   मात्र  समझे  फिर  कहा  --- अस्सी  बरस   ,  और  हँसते  हुए  वापस  लौट  गए  l  कबीर  ने  कहा  ---- संत  बनना  हो  तो  ऐसा  बनना   जिसे  क्रोध  ही  न  आये   l