महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठिर से कहते हैं ---- जीव अकेले जन्म लेता है , अकेले मरता है तथा अकेले ही पाप , पुण्य का फल भोगता है l भगवान कहते हैं --- मनुष्य बहुत बड़े भ्रम में है कि हमारे कुटुम्बी और साथी सदा हमारे साथ रहेंगे तथा पाप , पुण्य के फल भोग में हमारा साथ देंगे l किन्तु यह संभव नहीं है l डाकू रत्नाकर को भी यह भ्रम हो गया था l वह अपने कुटुम्बियों को सुख पहुँचाने के लिए डाके डाला करता था और सोचता था कि इस पाप में मेरे परिवार वाले भी साझीदार बनेंगे l एक बार नारद जी के कहने पर उसने अपने परिवार वालों से पूछा किन्तु उन्होंने पाप कर्मों और उसके परिणामों में अपनी हिस्सेदारी से इनकार कर दिया , तब कहीं रत्नाकर का मोह भंग हुआ l वह दुष्कर्मों से विरत होकर सत्कर्मों द्वारा डाकू से महर्षि वाल्मीकि बन गया l
2 March 2024
WISDOM -----
लघु -कथा -----1 , एक व्यक्ति एक ज्योतिषी के पास गया और अपने भविष्य के बारे में पूछने लगा l ज्योतिषी ने कहा ---- " तुम्हारे सभी संबंधी तुम्हारे देखते -देखते मर जाएंगे और तुम अकेले ही रह जाओगे l " यह सुनकर वह मनुष्य बहुत गुस्से में हो गया l ज्योतिषी पिटाई से तो बच गया लेकिन दक्षिणा भी गई l यही व्यक्ति फिर दूसरे ज्योतिषी के पास गया l उस ज्योतिषी ने बताया ---- " भाई ! , आपकी उम्र बहुत है l आप बहुत समय तक जियेंगे , आप अपने नाती -पोतों को भी पढ़ा -लिखा सकेंगे और उनकी शादी करेंगे l " वह मनुष्य बहुत खुश हुआ और पर्याप्त दक्षिणा भी ज्योतिषी को दी l कटुवचन सबके लिए हानिकारक होता है l इस ज्योतिषी ने वही बात को सुलझे हुए ढंग से कहा l
2. एक राजा ने दो मालियों को एक -एक बगीचा सौंप दिया l उनकी रखवाली सुरक्षा का भार उन पर डालकर निश्चिन्त हो गया l उनमें से एक राजा को भगवान मानकर पूजा किया करता था l उसने बगीचे में एक कुटी बनाकर राजा की मूर्ति की पूजा करना शुरू कर दिया , वह दिन -रात इसी में व्यस्त रहता l दूसरा माली अपने कर्तव्य और उत्तरदायित्व को समझकर दिन -रात बगीचे की देखभाल में लगा रहता l बहुत समय बाद राजा आया , उसने देखा कि एक बगीचा सूखा पड़ा है और दूसरा हरा -भरा है l राजा ने दूसरे माली को राज्य के सभी बगीचों और उत्पादन केन्द्रों का संचालक बना दिया और पहले वाले माली को देश निकाला दे दिया l इस कथा की शिक्षा यही है कि ईश्वर को नाम -स्मरण के साथ उसके कार्यों के प्रति लगनशील रहकर , अपने दायित्व का ईमानदारी से पालन कर के ही प्रसन्न किया जा सकता है l