12 January 2019

WISDOM ----- विषाद और अवसाद से उबरकर कर्मपथ पर चलने के लिए गीता के ज्ञान की जरुरत है

 गीता  हमें  जीवन  जीने  की  कला  सिखाती  है    l  आज  के  युग  में    लोगों  में  तनाव , अवसाद और मनोरोग  बढ़  रहे  हैं  , इसका  कारण  दूषित  मानसिकता  है  l  लोग  अपने  सुख  से  सुखी  नहीं  हैं ,  दूसरे  का  सुख  देखकर  दुःखी   हैं  l  प्रत्येक  व्यक्ति  इसी  प्रयास  में  अपनी   ऊर्जा   गंवाता  है  कि  कैसे  किसी  को  अपमानित  करें , नीचा  दिखाएँ   l  आज मनुष्य  अपनी  तरक्की  के  प्रयास  कम  करता  है  ,  उसका  सारा  प्रयास   केवल  यही  होता  है कि   कैसे  अपने  प्रतिद्वंदी  को  आत्महीनता  की  स्थिति  में  धकेल  दें  और  उसकी  तुलना  में  स्वयं  को  श्रेष्ठ  साबित  करें  l  इस  वजह  से  संसार  में   तनाव ,  आत्महत्याएँ,  अपराध  तेजी  से  बढ़  रहे  हैं  l
 यह  एक  विडम्बना  है   कि   उजाला  हमारे  पास  है  और  हम  अँधेरे  में  भटक  रहे  हैं   l  ईर्ष्या , द्वेष ,  लोभ , लालच , वासना , षड्यंत्र  रचने  की  प्रवृति --- ये  सब  मानसिक  विकार  हैं   ,  इन  विकारों  से  ग्रस्त  व्यक्ति  एक  प्रकार  के   मनोरोगी  हैं   और  आज   की  परिस्थितियों  में   ऐसे  ही  मनोरोगियों  से   हमारा  सामना  होता  है  l  ऐसे  लोगों  के  बीच  रहकर   अपने  मन  को  कैसे   शांत  और  तनावमुक्त  रखा  जाये ,  यह  ज्ञान  गीता  से ही मिलता  है  l  गीता  को  धर्म  और  मजहब  के  दायरे   से  बाहर  रखकर   पढ़ा  और  समझा  जाना  चाहिए  l  इससे  हमारा  द्रष्टिकोण  ,  सोचने - विचारने  का  तरीका  परिष्कृत  होगा  तो  अधिकांश  समस्याएं   स्वत:  ही  समाप्त  हो  जाएँगी  l