29 June 2022

WISDOM -------

   हकीम  लुकमान  बचपन  में  गुलाम  थे  l  वे  अपने  मालिक  के  घर  रहकर   काम  करते ,  उनका  दिया  अन्न  खाते  एवं  उनकें  दिए   कपड़े  पहनते  l  एक  दिन  उनके  मालिक  ने  ककड़ी  खरीदी ,  ककड़ी  मुंह  में  डालते  ही  मालिक  का  मुंह  कड़वा  हो  गया  l  उन्होंने  मजाक  में  ही  वह  ककड़ी  लुकमान  को  खाने  को  दे  दी   l  लुकमान  को  भी  ककड़ी  कड़वी  लगी , परन्तु  उन्होंने  प्रसन्न  भाव  से  उसे  खा  लिया  l   मालिक  को  यह  देखकर   बहुत  आश्चर्य  हुआ   l  उन्होंने  लुकमान  से  पूछा  ---- " तुमने  इतनी  कड़ुई  ककड़ी  कैसे  खा  ली  ? "  लुकमान  ने  उत्तर  दिया  --- "  मालिक  !  आप  मुझे  प्रतिदिन  खाने  के  लिए  अनेक  स्वादिष्ट  पकवान  देते  हैं  ,  उनको  खाकर  मैं  आनंदित  होता  हूँ   l   आज  जब  आपने  मुझे  खाने  के  लिए  कड़ुई  ककड़ी  दी   तो  मैंने  सोचा  कि  मुझे   इसे  भी  प्रसन्नता  से  ग्रहण  करना  चाहिए  l '  लुकमान  का  मालिक  एक  धार्मिक  व्यक्ति  था   और  उस  पर  लुकमान  की   इस  बात  का  गहरा  प्रभाव  पड़ा   l  वह  बोला ---- "  लुकमान  , आज  तुमने  मुझे  उपदेश  दिया  है   कि  परमात्मा  हमें  इतने  सुख  देता  है   l  यदि  वह  कभी  हमें  दुःख  दे  तो  उस  दुःख  को  भी   हमें  प्रसन्नतापूर्वक  स्वीकार  करना  चाहिए   l  "  इतना  कहकर  मालिक  ने  लुकमान  को  गुलामी  से  आजाद  कर  दिया  l  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  कहते  हैं--- ' यदि  हम  जीवन  के   सुख  और  दुःख ,  दोनों  को  भगवान  का  आशीर्वाद  माने  तो  जीवन  कभी  कष्टकारी  प्रतीत  नहीं  होगा  l  '