30 September 2019

WISDOM ------आत्मबल के धनी व्यक्ति सर्वत्र विजयी होते हैं

     आदि  शंकराचार्य  न  केवल  वेद -  वेदांग  में  पारंगत  थे  ,  वरन  आत्मबल  के  भी  धनी  थे  l  वे  शास्त्रार्थ  करने  मंडन  मिश्र  के  यहाँ  पहुंचे   l  निर्णायक  की  भूमिका   मंडन  मिश्र  की  पत्नी   उभय  भारती  को  सौंपी  गई  l  वे  भी  परम  विदुषी  थीं   l  शास्त्रार्थ  में  कौन  विजयी  हुआ  ,  इसकी  कसौटी  यह  बताई  थी  कि  दोनों  के  गले  में  उनके  द्वारा  पहनाई  गई  फूलों  की  माला   जिसके  गले  में  मुरझा  जाएगी  ,  उसी  की  हार  मानी  जाएगा   l      लम्बी  अवधि  तक  चले  शास्त्रार्थ  के  बाद  मंडन  मिश्र  के  गले  की  माला  कुम्हला  गई  और  वे  पराजित  घोषित  हो  गये    l
मंडन  मिश्र  के  गले  में  पड़ी  माला  क्यों कुम्हलाई  ,  इस   बारे  में  विद्वानों  ने  बहुत   तथ्य  खोजे   l   विद्वानों  का  कहना  था  कि  दीर्घकालीन  शास्त्रार्थ  से  मंडन  मिश्र  का  आत्मविश्वास  डिगने  लगा  ,  मनोबल  टूटने  से ,   अंतर में  घबराहट  होने  से  पसीना  आने  लगा  और  माला  कुम्हला  गई  l  जबकि  शंकराचार्य  योग  के  महान  ज्ञाता  थे   l  प्राण  व  मन  पर  उनका  पूर्ण  नियंत्रण  था  ,  उनकी  माला  वैसे  ही  ताजी  रही  l  जिनका  मनोबल  बढ़ा - चढ़ा  हो ,  उद्देश्य  ऊँचे  हों   वे  सर्वत्र विजयी  होते  हैं   l