28 January 2024

WISDOM ------

   लघु  कथा  के  माध्यम  से  यह   बताया  गया  है   कि  लोभ , मोह  और  अहंकार  से  ग्रस्त  व्यक्ति  कैसे  चक्रव्यूह  में  फंसा  रहता  है  , कभी  मुक्त  नहीं  हो  पाता  l ----- 1 .  मोह ----  मोह  कभी  छूटता  नहीं , मृत्यु  के  बाद  शरीर  से  मोह  बना  रहता  है  l  कभी -कभी  किसी को  गहरा  आघात  पहुँचता  है , कोई  चोट  ह्रदय  पर  पहुँचती  है  तो उसका  मोह   छूट  जाता  है  -----  राजा  भर्तहरी  को  किसी  साधु  ने  अमरफल  दिया  l  राजा  को  अपनी  रानी  से  बहुत  प्रेम  था   सो  उन्होंने  वह  फल  अपनी  रानी  को  दे  दिया  l  रानी  एक  साधु  को  चाहती  थी   इसलिए  उसने  वह  फल  साधु  को  दे  दिया  l  साधु  ने  उस  फल  को  एक  नर्तकी  को  दे  दिया  l  नर्तकी  ने  सोचा  कि  वह  इस  फल  का  क्या  करेगी  , उसने  वह  फल  राजा  को  दे  दिया  l  राजा  को  जब  सब  बात  का  पता  चला  तो  उसे  बहुत  ग्लानि  हुई   और  उसने  राजपाट  छोड़कर  संन्यास  ले  लिया  l                                                                    2 . अहंकार ---- अहंकार  के  वशीभूत  होकर  कार्य  करने  वालों  को   अपने  कर्म  का  फल  मिलता  है ---- एक  कथावाचक  पंडितजी  बहुत  अच्छी  कथा  कहते  थे   l  गाँव  के  सभी  लोग  कथा  सुनने  आते  थे  l  एक  व्यक्ति   श्यामलाल   बहुत  सरल  स्वभाव  का  था   और  कार्य  में  व्यस्त  रहने  के  कारण  कथा  सुनने  नहीं  आता  था  l  लोगों  ने  पंडितजी  से  शिकायत  की  कि  श्यामलाल  बहुत  घमंडी  है  कथा  सुनने  नहीं  आता  है  l    एक  दिन  श्यामलाल  पंडित जी  को  निमंत्रण  देने  गया   तो  पंडित जी  ने  क्रोध  करते  हुए  कहा ----" मैं  चल  सकता  हूँ  ,  यदि  तुम  मेरी  डोली  को  कंधे  पर  उठाकर  ले  चलो  l "  श्यामलाल  ने  कहा ---- " यह  तो  मेरा  सौभाग्य  होगा  l "  और  वह   उनकी  डोली   अपने  कंधे  पर  उठाकर  ले  आया   और  उन्हें  भोजन  कराया  l  दोनों की  मृत्यु  हुई  तो  श्यामलाल  तो   अगले  जन्म  में  राजा  बना   और  पंडितजी   हाथी  बने  l   एक  दिन  हाथी को  अपने  पूर्व  कंम  की   याद  आ  गई  कि  वह  तो  पंडित  था   l  अब  वह  बिगाड़  गया   और  राजा  को  बैठने  नहीं  दिया  l  राजा  के  यहाँ  एक  सिद्ध  ज्योतिषी   संयोग  से  आए  , उन्होंने  राजा  की  बात  सुनी  l  वे  हाथी  के पास  गए   और  बोले ---- " मूर्ख  ,  पहला  जन्म  तो  अहंकार   में  बिगाड़  लिया   l  अब  क्या  चाहता  है  ?  इस  जन्म  को  भी  बरबाद  करेगा  l   हाथी    को  समझ  आ  गया   < वह  अहंकार  छोड़कर  अपने  काम  पर  लग  गया  l