18 February 2019

WISDOM ------ शत्रु से सतर्कता जरुरी है

 छत्रपति  शिवाजी  के  दक्षिण  में  विस्तार ,  उनकी  वीरता  और  साहस से अनेक  ईर्ष्या  करते  थे   और  हिन्दुस्तान का  बादशाह  औरंगजेब    इसे  दिल्ली  पर  खतरा  समझता  था   l  उसने  भी  उन्हें  बंदी  बनाने  का  षडयंत्र  रचा   l --- जिनके  संस्कार  विकृत  होते  हैं    उन्हें  शत्रुओं  की  चाटुकारी  करने  और  अपनों  को  हानि  पहुँचाने  में   ही  सुख - संतोष   अनुभव  होता  है  ,  वे  अपने  स्वार्थ  के  लिए  शत्रुओं  के  प्रति  वफादार  रहते  हैं  ,  लेकिन  अपने  देश  व  समाज  के  लिए  नहीं  रह  पाते  l   जयसिंह  नाम  का  हिन्दू  राजा  औरंगजेब   का  दूत बनकर  शिवाजी  के  पास  आया   l  जयसिंह  ने  शिवाजी  को  विश्वास  दिलाया  कि   यदि  वह  उनके  साथ  चलकर  औरंगजेब  से  मिल  लें   तो  वे  उनको  उससे   जीते  हुए  इलाके  और  दरबार  में  ऊँचा  पद  दिलवा  देंगे  l    शिवाजी  ने  अपने  विशाल  मंतव्य  के  लिए  इसे  एक  अच्छा  अवसर  समझा   और  जयसिंह  की  बातों  पर  विश्वास  कर  लिया  l   सतर्कता  में  थोड़ा  सा    असावधान  होते  ही  शिवाजी  धोखा  खा  गए   और  आगरे  में  बंदी  बना  लिए  गए  l    लेकिन   अपनी  सूझ - बूझ  और  साहस  के  बल  पर    फलों  की   टोकरी  में  बैठकर   कैद  से  बाहर  निकल  आये  और  पूना  जा  पहुंचे   l 
  शिवाजी  की  अनुपम  सफलता  का  एकमात्र  कारण    उनकी  समयानुकूल  कार्य प्रणाली   और  परिस्थितियों  के  अनुसार   चलने  का  गुण  था   l