30 January 2021

WISDOM -----

   क्रोध  एक  ऐसा  मनोविकार  है   जो  बुद्धि , विवेक  और  भावना  सबको  नष्ट  कर  देता  है   l    क्रोध  का  पहला  प्रहार   विवेक   पर   व  दूसरा  प्रहार  होश  पर  होता  है   l   इसलिए  कठिन  कार्यों  , संकट  के  समय   और  अपमान  होने  पर  धैर्य  धारण  करने  की  सलाह  दी  जाती  है   l   क्रोध  करने  से  शारीरिक  व  मानसिक  ऊर्जा  का     क्षय  होता  है   l   जिस  तरह  जब  पानी  को  गरम   किया  जाता  है   तो  थोड़ी  देर  में  वह  गरम  होकर  उबलने  लगता  है   और  उबलने  पर  पानी  भाप  में  बदलता  जाता  है    , इसी  तरह  जब  व्यक्ति  क्रोध  में  गरम  होकर   उबलता  है   तो  उस  समय  उसकी  ऊर्जा  सर्वाधिक  मात्रा  में  व्यय  होती  है   l    इसलिए  मनुष्य  को  सर्वप्रथम  अपने  क्रोध  पर  नियंत्रण  रखना  चाहिए   ऐसा  होने  पर  दुर्भावनाएं   मन  को  घेर  नहीं  पाएंगी  और  व्यक्ति  पूर्ण  रूप  से  स्वस्थ  रहेगा   l