पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- ' क्रोध पल भर में व्यक्ति की सारी अच्छाई को नष्ट कर सकता है और उससे कुछ भी अनिष्ट करवा सकता है l क्रोध दहकते हुए उस कोयले के समान है , जिसे व्यक्ति दूसरों को जलाने के लिए अपने पास रखे रहता है , अपने मन में रखे रहता है और उससे हर पल वह स्वयं ही जलता रहता है l इसलिए क्रोध से बाहर निकालो l प्रेम , करुणा और सहिष्णुता के जल से इस क्रोध की चिनगारी को बुझाओ l क्रोध के शांत होते ही अंदर से सुख और शांति की प्राप्ति होने लगेगी l '
5 January 2022
WISDOM -----
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- ' आप अपनी ऊर्जा कैसे खर्च करेंगे , यह आपके ऊपर निर्भर करता है l यदि आप अपनी ऊर्जा और शक्ति दूसरों की बुराई करने में खरच कर देते हैं तो यह मानकर चलिए कि इससे दूसरे व्यक्ति का कोई नुकसान नहीं होगा , बल्कि आपको ही इससे दोगुना नुकसान होगा l ' महाभारत का एक पात्र है -- ' शकुनि '--गांधार नरेश होते हुए भी वह हस्तिनापुर में रहा और पांडवों के विरुद्ध दुर्योधन के मन में विषबीज बोता रहा , बुराई और षड्यंत्र करता रहा l इसका परिणाम महाभारत का युद्ध हुआ l वह स्वयं तो डूबा , मारा गया , अपने साथ पूरे कौरव वंश को ले डूबा l निर्दोष और धर्म की राह पर चलने वालों के साथ षड्यंत्र करने का परिणाम ऐसा ही विनाशकारी होता है l यह परिणाम कब और किस रूप में मिलेगा इसे काल निर्धारित करता है l समझदार व्यक्ति दूसरों की बुराई करने और षड्यंत्र रचने में अपनी ऊर्जा नहीं गँवाते , बल्कि उस समय का उपयोग अपनी रचनात्मकता को निखारने में करते हैं l हैरी पॉटर सीरीज की लेखिका ने लिखा है ---- " मैं जिंदगी भर ऐसे लोगों से जूझती रही हूँ , जिन्होंने मेरी लेखनी को कमतर , निकृष्ट और अविश्वसनीय बताया l ये लोग मुंह पर मेरी तारीफ करते और पीठ पीछे बुराई l क्या इससे मुझे नुकसान हुआ ? नहीं l बल्कि फायदा ही हुआ l मैं बिना वजह कई लोगों को याद रह गई l "