16 November 2022

WISDOM ----

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- " दुनिया  में  बुरे  लोग  हैं , ठीक  है  , पर  यदि  हम  अपनी  मनोभूमि  को   सहनशील , उदार  और  धैर्यवान  बना  लें   तो  अपनी  जीवन  यात्रा  आनंदपूर्वक  कर  सकते   हैं  l  जो  उपलब्ध  है  उसे  कम  या  घटिया  मानकर   अनेक  लोग  दुःखी  रहते  हैं  l  यदि    हम  इन  लालसाओं  पर  नियंत्रण   कर  लें  , अपना  स्वाभाव  संतोषी  बना  लें  तो   अपनी  परिस्थितियों  में   शांति पूर्वक  रह  सकते  हैं     l "  आचार्य श्री  आगे  लिखते  हैं ---- ' अपने  से  अधिक  सुखी ,  अधिक  साधन संपन्न  , अधिक  ऊँची  परिस्थिति   के  लोगों  के  साथ  अपनी  तुलना  की  जाए   तो  प्रतीत  होगा   कि  सारा  अभाव  और   दरिद्रता    हमारे  हिस्से  में   आई  है  ' परन्तु   यदि   उन असंख्य  दीन -हीन   परेशान   लोगों  के  साथ  अपनी  तुलना  करें       तो  अपने  सौभाग्य  की  सराहना  करने  को  जी  चाहेगा   l  ऐसी  दशा  में  यह  स्पष्ट  है  की   अभाव  या  दरिद्रता  कोई  मुख्य  समस्या  नहीं  है  , समस्या  केवल  इतनी  है  कि   हम  अपनी  तुलना  अपने  से  नीची  परिस्थिति परिस्थिति  के  लोगों  से  करते  हैं  या  ऊँची  परिस्थिति  के  लोगों  से   l  '  द्रष्टिकोण  में  परिवर्तन  से  हम  बेवजह  के  तनाव  से  बच  सकते  हैं  l