एक राजा बहुत प्रसिद्धि प्रिय था l वह आये दिन कुछ न कुछ ऐसे काम करता रहता जिससे उसके नाम की चर्चा होती रहे l सभी उसे दयालु मानते रहें l एक पर्व पर उसने आदेश निकाला कि वह पकड़े हुए पक्षी खरीदेगा और उन्हें मुक्त करने का पुण्य लाभ करेगा l यह क्रम पूरे एक वर्ष तक चलेगा l
प्रजाजनों को एक सस्ता धन्धा मिल गया l उन्होंने बहेलिये की चतुरता सीख ली l हर व्यक्ति रोज दर्जनों पक्षी जाल में फंसा लेता और राजा से उनकी अच्छी - खासी कीमत वसूल कर ले जाता l सबेरे से शाम तक राजदरबार में हजारों पक्षी खरीदे और छोड़े जाते थे l कुछ ही महीनो में सारा राजकोष खाली गया l
बुद्धिमान मंत्री ने राजा को समझाया कि इस सस्ती वाह - वाही में राजकोष समाप्त हो रहा है l जन -साधारण को बहेलिये का धन्धा अपनाने का स्वभाव पड़ रहा है l पक्षी त्रास पा रहे हैं l ऐसी झूठी दयालुता से कोई लाभ नहीं जिसका परिणाम न सोचा जाये l
प्रजाजनों को एक सस्ता धन्धा मिल गया l उन्होंने बहेलिये की चतुरता सीख ली l हर व्यक्ति रोज दर्जनों पक्षी जाल में फंसा लेता और राजा से उनकी अच्छी - खासी कीमत वसूल कर ले जाता l सबेरे से शाम तक राजदरबार में हजारों पक्षी खरीदे और छोड़े जाते थे l कुछ ही महीनो में सारा राजकोष खाली गया l
बुद्धिमान मंत्री ने राजा को समझाया कि इस सस्ती वाह - वाही में राजकोष समाप्त हो रहा है l जन -साधारण को बहेलिये का धन्धा अपनाने का स्वभाव पड़ रहा है l पक्षी त्रास पा रहे हैं l ऐसी झूठी दयालुता से कोई लाभ नहीं जिसका परिणाम न सोचा जाये l