17 February 2018

WISDOM ------ सस्ती वाह - वाही से बचना चाहिए

    एक  राजा  बहुत  प्रसिद्धि  प्रिय  था  l  वह  आये  दिन  कुछ  न  कुछ  ऐसे  काम  करता  रहता   जिससे  उसके  नाम  की  चर्चा  होती  रहे  l  सभी  उसे  दयालु  मानते  रहें  l   एक  पर्व  पर  उसने  आदेश  निकाला  कि  वह  पकड़े  हुए  पक्षी  खरीदेगा  और  उन्हें   मुक्त  करने  का  पुण्य  लाभ  करेगा  l  यह  क्रम  पूरे  एक  वर्ष  तक  चलेगा  l 
  प्रजाजनों  को  एक  सस्ता  धन्धा  मिल  गया  l  उन्होंने  बहेलिये  की  चतुरता  सीख  ली  l  हर  व्यक्ति  रोज  दर्जनों  पक्षी  जाल  में  फंसा  लेता  और  राजा  से  उनकी  अच्छी - खासी  कीमत  वसूल  कर  ले  जाता  l  सबेरे  से  शाम  तक   राजदरबार  में  हजारों  पक्षी  खरीदे  और  छोड़े  जाते  थे  l   कुछ  ही  महीनो  में  सारा राजकोष  खाली    गया  l
  बुद्धिमान  मंत्री  ने   राजा  को  समझाया  कि  इस  सस्ती  वाह - वाही  में  राजकोष  समाप्त  हो  रहा  है   l  जन -साधारण  को  बहेलिये  का  धन्धा  अपनाने  का  स्वभाव  पड़  रहा  है   l  पक्षी  त्रास  पा  रहे  हैं  l  ऐसी  झूठी  दयालुता  से  कोई  लाभ  नहीं  जिसका  परिणाम  न  सोचा  जाये   l