3 November 2023

WISDOM ------

     कहते  हैं   ' अति '  हर  चीज  की  बुरी  होती  है  l  महत्वाकांक्षा  भी  यदि  अति  की  हो    तो  उसका  दुष्परिणाम   परिवार  को , समाज  को  और  संसार  को  झेलना  पड़ता  है  l  ऐसा  व्यक्ति  जिस  भी  क्षेत्र  में  है   वह  चाहता  है   सब  उसे  प्रणाम  करें ,  उसकी  गरिमा  को  समझें  , उसके  कहे  अनुसार  आचरण  करे  l    पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ----' महत्त्व  को  जिस -तिस  तरह  हथिया  लेने  की  ललक    ऐसा  विष  है   जो  जिस  क्षेत्र  में  घुसेगा  उसे   विषैला    बना  देगा  l '     सिकंदर , हिटलर   को  विश्व विजयी  होने  का  सम्मान  पाने  की  ललक  थी  , इसके  लिए  लाखों -करोड़ों  को  मारने -काटने  में  उन्हें  कोई  तकलीफ  नहीं  हुई  l  अति  का  महत्त्व  पाने  की  इच्छा  धार्मिक  क्षेत्र  में  व्यक्ति  को  धूर्त  और  पाखंडी  बना  देती  है  l  अपने  भीतर  की  कमजोरियों  को  छिपाकर     -संत  का  वेश  विन्यास  कर  व्यक्ति  लाखों   से  अपनी  पूजा  भक्ति  करा  लेता  है  l  इस  महत्वाकांक्षा  ने  संसार  में  लाखों   गुरु , सैकड़ों  भगवान , अवतार  पैदा  कर  दिए   l  सामाजिक  क्षेत्र  में  महत्त्व  लूटने  की  , सम्मान  पाने  की   चाह    ने  कितने  ही  नकली  समाज सेवी    पैदा    कर  दिए  l    अमीरों  की  गिनती  में   आगे  बढ़ने  की    चाह  में   संसार  में  धन  कमाने  के  कितने  ही  गलत  तरीके  फ़ैल  गए  हैं  l  महत्त्व  पाने  की  इस  ललक  में  व्यक्ति   दोहरा  जीवन  जीता  है  l  अन्दर  से  नीति  , मर्यादा  की  अवहेलना  करते  हुए  बाहर  से   बहुत  मर्यादित  , अनुशासनप्रिय   दिखाने  का  प्रयत्न  करता  है  l  कई  लोग  तो  अपने  चेहरे  पर  इतने  चेहरे  लगा  लेते  हैं  कि  वे  स्वयं  ऐसी  मन;स्थिति  में  पहुँच  जाते  हैं  की  वे   अपना   सच  ही   भूल  जाते  हैं  , मानसिक  रूप  से  बीमार  हो  जाते  हैं  l    पं .  श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---' बुराई  बुराई  है   पर  अच्छाई  के  गर्भ  में   बुराई  को  भरण -पोषण  मिलना   और  अधिक  भयंकर  है  l  पाप  को  पाप  समझकर   उससे  बचा  जा  सकता  है  लेकिन  जो  पाप ,    पुण्य  की  आड़  में   किया  जाता  है   उससे  बच  पाना  बहुत  कठिन  है  l   शत्रु  से  बचाव  आसान  है  ,  पर  मित्र  बने  शत्रु  से  बच  पाना  असंभव  है   l "  जागरूक  रहें  और  अति  से  बचें  l