10 November 2017

WISDOM ------ दुःख को सकारात्मक भाव से लिया जाये तो मन सशक्त होता है

    यदि  दुःख  को  सकारात्मक  भाव  से  लिया  जाये  तो  मन  धुलता  है , सशक्त  होता  है  l  महर्षि  अरविन्द  पांडिचेरी  तो  पहुँच  गए  ,  पर  वहां  उनकी  21  दिन  तक  खाने  की  कोई  सही  व्यवस्था  नहीं  हो  पाई  l  कई  बार  तो  मात्र  पानी  पीकर  ही  रह  जाते  थे  l  उनने  मोतीलाल  राय  को  उन  दिनों  एक  पत्र  में  लिखा  था ---- " भगवान  को  अंतिम  समय  में  मदद  करने  की  आदत  पड़  गई  है  l  मेरे  साथ  आये  सभी  कष्ट  में  हैं  ,  पर  यह  भी  तप  है  ,  यह  मानकर  सभी  मेरे  साथ  प्रसन्न  भाव  से  रह  रहे  हैं  l "  उन  दिनों  भी  श्री  अरविन्द  अपनी  दिनचर्या  के  अंतर्गत  नित्य  चार  मील  टहलते  थे  l  छ:  घंटे  साधना  करते  थे  l
    सोच  सकारात्मक  हो  और  ईश्वर  पर  अटूट  विश्वास  हो   तो  दुःख  को  ईश्वरीय  विधान  मानकर  खुशी  से  स्वीकार  करने  से  मन  शान्त  रहता  है  l