एक तारा आसमान से धरती पर आ गिरा l धरती ने पूछा --- " क्यों बंधु ! तुमने इतनी लंबी यात्रा कर के यहाँ आने की तकलीफ क्यों की ? " तारा बोला --- " बहन पृथ्वी ! जब मैं दूर से तुम्हे देखता था तो तुम चमचमाती नजर आती थीं और मैं बस यही सोचता रहता था कि कैसे तुमसे मिल पाऊं l " पृथ्वी चकित हुई और बोली ---- " आश्चर्य है , दूर से तो तुम भी मुझे झिलमिलाते दिखाई पड़ते थे , पर न अब एक बड़ी चट्टान से ज्यादा कुछ नहीं दीखते हो l " तारा बोला ---- "बहन ! अब एक बात समझ में आई l दूर से हमें हर वस्तु लुभावनी लगती है , पर जैसे ही हम उसे प्राप्त कर लेते हैं , वो अपना सौन्दर्य खो बैठती है l सच्ची सुन्दरता तो हमारी सोच और समझ के अन्दर है l " बात पृथ्वी को भी समझ में आ गई l अब दोनों एक दूसरे की सचाई जानते हैं , पर न एक दूसरे की चमक से ईर्ष्या करते हैं और न अपनी स्थिति पर दुःख प्रकट करते हैं l