6 January 2019

WISDOM ----- अपने तनाव के लिए व्यक्ति स्वयं जिम्मेदार है

    कामना , वासना  और  तृष्णा  की खाई  इतनी गहरी  है  ,  जिसे  बड़े - बड़े  राजा - महाराजा  भी  नहीं  पाट  सके  l   मनुष्य  को  संतोष  नहीं  है  l  अपनी  इन्ही  कमजोरियों  के  कारण  लोग  इधर  से  उधर  भागते  रहते  हैं   ,  सुख - शान्ति  तो  मिल  नहीं  पाती  ,  तनाव   से  और  घिर  जाते  हैं  l   एक  छोटा  सा प्रसंग  है ----
 प्रख्यात  पत्रकार ,  लेखक  एवं  विचारक  पाल   ब्रंटन  भारत  आये   l  उन  दिनों  वे  वाराणसी  में  थे  ,  वहीँ  की  घटना  है   जिसका  उन्होंने  उल्लेख  किया ----- एक  दिन   वे    गंगा  तट  पर  बैठे  हुए  थे   l  उन्होंने  देखा  ,  एक  व्यक्ति  बड़ी  तेजी  से  गंगा जी  की  ओर  भागा  गया   और  फिर  हताश  होकर  वापस  लौट  आया  l 
      अपनी  जिज्ञासा  को  शांत  करने  के  लिए    पाल  ब्रंटन  उस  व्यक्ति  के  पास  गए   और  उससे  पूछा  ---- " वह  गंगा  तट  के  पास भागा  हुआ  क्यों  गया   और  फिर  वापस  हताश  होकर  क्यों  लौटा  ? "
  इस  पर  उस  व्यक्ति  ने    थोडा  शरम  और  संकोच  के  साथ  कहा --- " मैं  गंगा  तट  के  नजदीक  एक   स्त्री  के  सौन्दर्य  से  अभिभूत हो  गया  था  l  मैंने  सोचा  था  कि  कोई  सुन्दर  स्त्री  गंगा  में  स्नान  कर  रही  है  l  मुझे  उसके  खुले  केश  बहुत  सुन्दर  लगे  l '
इस पर  पाल ब्रंटन  ने  पूछा --- " तब  फिर  वापस  क्यों  भाग  कर  आये  ?  "
इस  पर  उसने  बताया -- " दरअसल  मुझे  धोखा  हुआ  था  l  दूर  के  कारण  मैं  सही  से  नहीं  देख  सका  l  पास जाने  पर  पता  चला  कि   वहां  कोई  स्त्री  ही  नहीं  है  l  वहां  तो  एक  साधु  महाराज  बाल  खोले  नहा  रहे  हैं  l  मुझे  तो  बस  बालों  को  देखकर  भ्रम  हुआ  था  l " 
पाल  ब्रंटन  ने  यह  बात  पं. गोपीनाथ  कविराज  को  बताई  l   उन्होंने  बताया  --'- व्यक्ति  को  भगाने   वाली  व  दौड़ाने  वाली   उसकी  स्वयं  की  वासना  थी  l  साधु  को  तो  इस  बात  का पता  भी  नहीं  कि  वह  व्यक्ति  क्यों   इधर  से  उधर भाग  रहा  है  l   गंगा  तट   पर  जाते  समय  वह  खुश  था , उसे  सुख  की  अनुभूति  थी  ,  लेकिन  पास पहुँचने  पर  निराशा  से  भर  गया   और  वापस  आते  समय  दुःख व  निराशा  से  भर  गया  l
मनुष्य  इसी  तरह  अपनी कमजोरियों  के  कारण  भटकता  रहता  है  l  "