न्यूयार्क के पत्र " नेशन " ने बहुत वर्ष पहले महात्मा गाँधी के वास्तविक महत्त्व को समझ कर लिखा था ------ " वर्तमान युग में जब संसार के लोग वैज्ञानिक चमत्कारों पर ही विशेष जोर दे रहे हैं , भारतवर्ष का यह वीर और तपस्वी नेता अपने सात्विक गुणों और आत्मशक्ति के कारण देश और विदेश में अत्यधिक सम्मान प्राप्त कर रहा है l जिस समय पाश्चात्य सभ्य राष्ट्र अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए युद्ध के अतिरिक्त और कोई मार्ग जानते ही नहीं उस समय महात्मा गाँधी अपने राष्ट्रीय आन्दोलन को ' अहिंसात्मक असहयोग ' के पथ पर चला रहे हैं l वे कहते हैं कि भारत को रक्तपात से ही स्वराज्य मिल सकता है , तो हम दूसरों के बजाय अपना ही रक्त क्यों न बहाएं ? " गाँधी जी कहते थे ---'हम दूसरों को न मारकर , स्वयं अपने ही प्राण देकर स्वतंत्रता को प्राप्त करेंगे l ' गाँधी जी की यह घोषणा सुनकर ब्रिटिश सरकार तो क्या पूरा संसार ही चक्कर में आ गया l वे वर्तमान राजनीति और युद्धनीति को बदल देना चाहते थे l महापुरुष टालस्टाय लिखते हैं ---- " वर्तमान काल में एकमात्र गाँधी जी ईश्वरीय प्रतिनिधि हैं l
10 August 2022
WISDOM -----
अनमोल मोती ----- रक्षाबंधन का पुनीत पर्व l बीकानेर नरेश का दरबार लगा हुआ था l राजद्वार पर ब्राह्मणों की लम्बी कतार थी l उन्ही ब्राह्मणों के मध्य पं. मदनमोहन मालवीय जी भी एक नारियल लिए खड़े थे l प्रत्येक ब्राह्मण नरेश के पास जाकर राखी बाँधता और दक्षिणा लेकर ख़ुशी -ख़ुशी घर लौटता जा रहा था l मालवीय जी का नंबर आया तो वे नरेश के समक्ष पहुंचे , राखी बाँधी , नारियल भेंट किया और संस्कृत में स्वरचित आशीर्वाद दिया l नरेश के मन में इस विद्वान् ब्राह्मण का परिचय जानने की जिज्ञासा हुई l जब उन्हें मालूम हुआ कि यह तो मालवीय जी हैं तो वह बहुत प्रसन्न हुए और मन ही मन अपने भाग्य की सराहना करने लगे l मालवीय जी ने विश्वविद्यालय की रसीद बही उनके सामने रख दी l उन्होंने भी तत्काल एक सहस्त्र मुद्रा लिखकर हस्ताक्षर कर दिए l नरेश अच्छी तरह जानते थे कि मालवीय जी द्वारा संचित किया हुआ सारा द्रव्य विश्वविद्यालय के निर्माण में ही व्यय होने वाला है l मालवीय जी ने विश्वविद्यालय की समूची रुपरेखा नरेश के सम्मुख रखी l उस पर संभावित व्यय तथा समाज को होने वाला लाभ भी बताया तो नरेश मुग्ध हो गए और सोचने लगे इतने बड़े कार्य में एक सहस्त्र मुद्राओं से क्या होने वाला है , उन्होंने पूर्व लिखित राशि पर दो शून्य और बढ़ा दिए , साथ ही अपने कोषाध्यक्ष को एक लाख मुद्राएँ देने का आदेश प्रदान किया l