26 January 2020

WISDOM ----- विद्दा के उपासक ---- श्री रामकृष्ण परमहंस

 कामारपुकुर  से  कलकत्ता  आने  पर  रामकृष्ण  परमहंस  के  बड़े  भाई  ने   उन्हें  स्कूल   में  पढ़ाने  की  बहुत  कोशिश  की  l   इस  पर  उन्होंने  साफ़  इनकार   करते  हुए  कहा --- " दादा  ! मैंने  अक्षर  ज्ञान  पा  लिया  है  , सत्साहित्य  को  पढ़  सकता  हूँ   l   अब  इस  पेट  भरने  वाली  शिक्षा  को  पढ़कर  जिंदगी  बरबाद   नहीं  करूँगा   l    मैं    तो  इनसान   बनूँगा l  '   और  जुट  गए  अपने  व्यक्तित्व  को  संवारने   l   जीवन  विद्दा  के  आचार्य  के  रूप  में  ढालकर    उन्होंने  दक्षिणेश्वर  मंदिर  को  जीवन  विद्दा  का  केंद्र  बनाया    और  जुट  गए  इंसानो  को  गढ़ने  में  l 
  विवेकानंद , अभेदानन्द , ब्रह्मानंद  जैसे  चमचमाते  खरे  व्यक्तित्व   ढालकर  उन्हें   जीवन  विद्दा  के  विस्तारक  के  रूप  में  समाज  को   समर्पित    किया   l   विद्दा  के  आचार्यों  को  गढ़ने  वाले    इस  महामानव  की  स्तुति  में    स्वामी  विवेकानंद  ने  कहा  है --- "  वे  आचार्यों  के  महा आचार्य  थे  l   स्वामीजी  कहते --- मेरे  गुरु  ने   मुझे  विद्दा  दी  है   l   इसको  पाकर  मैं  दार्शनिक  नहीं  हुआ  ,  तत्ववेत्ता  भी  नहीं  बना  हूँ  l   संत  बनने  का  दावा   नहीं  करता  ,  परन्तु  मैं  एक  इन्सान   हूँ   और  इन्सानों   को  प्यार  करता  हूँ  l "
  ब्रह्मानंद  के  शब्दों  में  --- ठाकुर  हम  लोगों  से  कहा  करते  थे  ---- ' जब  तुम  सोलह  आने  बनोगे   तब  तुम्हे  देखकर  लोग   आठ  आने  अपनाने  की  सकेंगे  l "  उनके  ये  शब्द  आज  भी   लोक  शिक्षक  के  लिए  कसौटी  हैं   l