19 March 2023

WISDOM -----

  मनुष्य  के  जीवन  में  उसके  विचारों  का  बहुत  महत्त्व  हैं   l  जैसे  विचार  होते  हैं  वह  वैसे  ही  कर्म  करता  है   और    अपने  कर्मों  द्वारा  ही  व्यक्ति   अपनी  पहचान   बनाता  है  l  व्यक्ति  के  द्वारा  किए  जाने  वाले  कर्मों  से  ही   हम  समझ  पाते  हैं  कि  अमुक  व्यक्ति  का  चरित्र  कैसा  है ,  उसके  संस्कार  क्या  है  l   मानव  शरीर  रचना  में  तो  राम  और  रावण  एक  जैसे  थे   लेकिन  अपने  कर्मों  द्वारा  ही   रावण  ने   संसार  को  बताया  कि   वह  असुर  है  , अत्याचारी  और  अहंकारी  राक्षस  है  l   इसी  तरह  दुर्योधन   हस्तिनापुर  का  युवराज  था  लेकिन  सारा  जीवन  छल , कपट  और  षड्यंत्र  करते  रहने  के  कारण     नैतिकता  की  द्रष्टि  से  वो  पांडवों  से  बहुत  निचले  स्तर  पर  था  ,  उसकी  पहचान   अत्याचारी  , अहंकारी    के  रूप  में   हो  गई   l  फिर  व्यक्ति  के  जैसे  विचार  और  कर्म  हैं   , वैसा  ही  उसका  समूह  होता  है  l  अपने  संस्कारों  के  अनुरूप  ही    वह  अन्य  व्यक्तियों  को  समझता  है  l    --------- एक  धर्मात्मा  ने   जंगल  में  सुन्दर  मकान  और  बगीचा  बनवाया   ताकि  आने  जाने  वाले   यात्री  उसमे  विश्राम  करें   l   संत  का  तो  उदेश्य   तो  श्रेष्ठ  था , उसकी  भावना  अच्छी  थी   लेकिन  उसमे  आकर   ठहरने  वालों  ने   उसे  अपने  विचारों  के  अनुरूप  देखा  l   चोर  ने  कहा --- यह  मकान   एकांत  में  सुस्ताने , हथियार  जमा  करने   और  माल  के  बंटवारे  के  लिए  अच्छा  है  l  "  व्यभिचारियों  ने  कहा ---" बिना  किसी  खटके   और  रोक -टोक  के  स्वेछाचारिता  बरतने  के  लिए  l  "  जुआरियों  ने  कहा --" जुआ  खेलने  और   लोगों  की  आँख  से   बचे  रहने  के  लिए   l  "  कलाकार  ने  कहा --- " एकांत  में  यह  मकान  और  बगीचा  एकाग्रतापूर्वक  कला  का  अभ्यास  करने  के  लिए  l  "  संतों  ने  कहा --- "  शांत  वातावरण  में  ध्यान  और  भजन  करने  के  लिए  l "     हम  अपने  विचारों  द्वारा  ही  स्वयं  को  प्रकट  करते  हैं  इसलिए  जरुरी  है  कि  हमारे  विचार  श्रेष्ठ  हों , परिष्कृत  हों  ,  तभी  कर्म  श्रेष्ठ  होंगे  l  विचारों  के  परिष्कार  से  ही   संसार  में  सुख -शांति  आएगी ,  पर्यावरण  शुद्ध  होगा  l  बड़ी -बड़ी  योजनायें  चाहे  कितनी  भी  क्यों  न  बना  ली  जाएँ  ,   उनके  सुपरिणाम  तभी  मिलेंगे  जब   उन्हें  बनाने  वाले  और  उन  पर  कार्य  करने  वालों  के  विचार  परिष्कृत  होंगे  l