29 December 2019

WISDOM ------ अनीति करने वाले के साथ - साथ वे भी पाप के भागी होते हैं जो उसे चुपचाप देखकर चुप रह जाते हैं , उसे रोकने का प्रयास नहीं करते

     ' महाभारत  तो  होना  ही  था  ,  क्योंकि  दुर्योधन  की  अनीति  और  अन्याय  को  देखकर  उस  समय  के  शिखर  पुरुष   भीष्म  पितामह ,  द्रोणाचार्य   खामोश  रहे  l   जिस  समय  भगवान   श्रीकृष्ण  दूत  बनकर  सन्धि   करने  को  हस्तिनापुर  जा  रहे  थे  ,  द्रोपदी  ने  उन्हें  देखा  तो  कहा ---- " भैया  ! तुम  उनसे  सन्धि   करने  जा  तो  रहे  हो   किन्तु  मेरे  बालों  को  न  भूल  जाना  ,  इन्ही  बालों  को  खींचकर  उन्होंने  एक  अबला  का  अपमान  किया  था  l  "
  तब  श्रीकृष्ण  ने  उत्तर  दिया --- " हे  द्रोपदी  ! चाहे  हिमालय  पर्वत  चलने  लग  पड़े ,  पृथ्वी  सौ   टुकड़े  हो  जाये   और  आकाश  नक्षत्रों  सहित  गिर  पड़े ,  किन्तु  मेरा  वचन  असत्य  नहीं  हो  सकता ,  मैं  उन  आततायियों  से  बदला  लेकर  रहूँगा  l  "  श्रीकृष्ण  ने  जैसा  कहा  वैसा  कर  के  दिखाया   और  दुनिया  के  सामने  एक  ज्वलंत  आदर्श  रख  दिया  l   जब  युद्ध  के  मैदान  में  अपने  संबंधियों   को  देख  अर्जुन  को  मोह  हो  गया   और  वह  युद्ध  करने  से  मना  करने  लगा  तब  भगवान   ने  उसे  गीता  का  उपदेश  दिया   कि ---- हृदय  की  दुर्बलता  और  क्षुद्रता  को  छोड़कर  उठो  और  शत्रुओं  से  जाकर  लड़ो ,  यदि  तुम  क्षात्र   धर्म  का  पालन  नहीं  करोगे  तो  पातकी  कहलाओगे  l   संसार  में  प्रतिष्ठित  व्यक्ति  की  निंदा  मृत्यु  से  भी  भयंकर  है    l  "
    वर्तमान    परिस्थितियों  के  सन्दर्भ  में  पं. श्रीराम  शर्मा  वाङ्मय  ' संस्कृति - संजीवनी  श्रीमद भागवत   एवं  गीता '  में  लिखते  हैं ---- ' हिन्दुस्तान   की  वीर  जाति   का  दुर्भाग्य  है  ,  उसने  स्वदेशाभिमान  और  वीरता  में  विश्वास  के  स्थान  पर   केवल  मात्र   अपने  ही  भाइयों  का  खून  चूसकर  पूंजी  इकट्ठी  करना  सीख  लिया  है  l   ये  भावनाएं  ही  उनमे  कायरता  भर  रही  हैं  l   निरंतर  सुख  निद्रा  में  सोये  रहने  के  कारण   इनमे  देश भक्ति  और  धीरता  के  भाव  ही  जाते  रहे  हैं  l   देश  की  चिंता  के  स्थान  पर  इन्हे  अपनी  पूंजी  की  चिंता  लग  पड़ी  है  l   विपत्ति  काल  में  अपनी  अन्याय  से  कमाई  हुई  पूंजी  के  साथ   कायरों  की  तरह  लुक छिप  जाना  ही  इसने  अपना  आदर्श  समझ  लिया  है   l   इस  बुजदिली  को  जन्म  देने  वाले  अधिकांश  पूंजीपति  हैं   जिन्होंने  गीता  के  पवित्र  सिद्धांतों  को  ठुकरा  कर   समय  से  अनुचित  लाभ  उठाया  है   और  देश  को  हर  संभव   उपाय   से  चूस - चूस  कर  अस्थि  शेष  कर  डाला  है   l 
 आजकल  देश  में  जितनी   अशांति  है  उसका  मुख्य  कारण    व्यक्तियों   का  स्वार्थ  और  दुर्बलता  है    और  दूसरी  और  हमारे  ही  भाई   '  पैसा  गुरुणां   गुरु  '   वाली  कहावत  चरितार्थ  कर  रहे  हैं   l   '