9 November 2013

वैज्ञानिक जीवन द्रष्टि + आध्यात्मिक जीवनमूल्य

वैज्ञानिक  जीवनद्रष्टि  में  पूर्वाग्रहों , भ्रामक  मान्यताओं  एवं  परंपराओं  की  तुलना  में  विवेक  को  महत्व  मिलता  है  | आध्यात्मिक  जीवनमूल्य  का  अर्थ  है --परिष्कृत  संवेदना  | इन  दोनों  के  समन्वय  से  ही  जीवन  सार्थक  एवं  संपूर्ण  बनता  है  |
     स्वाधीनता  के  बाद  गठित  परमाणु  उर्जा  आयोग  के  पहले  अध्यक्ष  डॉ . होमी  जहाँगीर  भाभा  ने  वैज्ञानिकों  के  समूह  को  संबोधित  करते  हुए  कहा  था-- " विज्ञान-जगत  के  लिये  आवश्यक  है कर्मशील  अध्यात्म  |   बीते  युगों  के  अध्यात्म  ने  संसार  को छोड़ने  की  बात  की  और  कुछ  कर्मकांडों  तक  सिमटा  रहा , लेकिन  आज  के  युग  में  विज्ञान  एवं  वैज्ञानिकों  के  लिये  ऐसा  अध्यात्म  आवश्यक  है , जिसमे  वैज्ञानिक  कर्मों  का    अविराम  पराक्रम  हो , साथ  ही  आध्यात्मिकता  की  पावन  संवेदना  हो  जो  विज्ञान  को , वैज्ञानिकों  के  जीवन  को  सभी  कालिख  और  क्रूरताओं  से  मुक्त  रखे  | "
    डॉ  भाभा  वैज्ञानिक  विशिष्टताओं  के  साथ  संगीत  के  मर्मज्ञ  कलाकार  थे  | इसी  के  साथ  उनमे  गहन  आध्यात्मिक  अभिरूचि  थी  | उनके  पुस्तकालय  में  जितनी  विज्ञान  की  पुस्तकें  थीं , उतनी  ही अध्यात्म  की  पुस्तकें  भी  थीं  |  वे  नियमित  ध्यान  करते  थे  | उनकी  जीवनशैली  ने  उन्हें  संपूर्ण  नि:स्पृह  योगी  बना  दिया  था  |  वे  अपने  सहयोगियों  को  सीख  देते  थे  कि  वैज्ञानिको  को  नियमित  ध्यान  करना  चाहिये  | इससे  मेधाशक्ति  विकसित  होती  है ; अंतर्प्रज्ञा  विकसित  होती  है  | अनुसंधान  कार्य  के  लिये  जिस  प्रखर  प्रतिभा , असामान्य  बौद्धिक  ऊर्जा  एवं  सर्वथा  मौलिक  सोच  की  आवश्यकता  है , वह  ध्यान  के  द्वार  से  सरलता  से  प्रवेश  करती  है  |
परमाणु  शक्ति  के  शांतिपूर्ण  उपयोग  करने  की  कल्पना  करने  वालों   में  वे  विश्व  में  प्रथम  अग्रणी  वैज्ञानिक  थे  |