12 August 2018

WISDOM ----- आचरण से शिक्षण हो , तभी समाज का परिष्कार होगा ----- पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

  आचार्य श्री  ने   लिखा  है ----- " विकृत  चिंतन   और  भ्रष्ट  चरित्र   ने  इन  दिनों  सूक्ष्म  जगत   के  अद्रश्य  वातावरण  को  प्रदूषण   से  भर  दिया  है  l  प्रकृति  की  सरल  स्वाभाविकता  बदल  गई  है   और  वह  रुष्ट  होकर  दैवी  विपत्तियाँ  बरसाने  लगी  है  l  कहीं  अनावृष्टि , कहीं  अतिवृष्टि  ,  अकाल ,  भूकंप  जैसी  विपत्तियाँ  बड़े  क्षेत्रों  को  प्रभावित  कर  रही  हैं  l  मानसिक  रोगों  में  तेजी  से  वृद्धि  हुई  है  l  कामुकता  बड़ी  है   l  मानवीय  संवेदना  और  व्यक्तित्व  के  स्तर  में  भरी  गिरावट  हुई  है  l  युद्धोन्माद  और  आतंकवाद  बढ़ता  जा  रहा  है  l  हर  कोई  अपने  को  असुरक्षित  महसूस  कर  रहा  है   l  कभी  जल - प्रलय  तो  कभी  हिम - प्रलय  जैसी  स्थिति  लगती  है   l  "  नवम्बर  1988 , अखण्ड ज्योति   में  लिखी   उनकी  यह   बात  आज   अक्षरशः  सत्य  है   l  
      उनका    विचार  था  कि  इस  स्थिति    निपटने  के  लिए आध्यात्मिक   उपचार   ही  कारगर   होगा   l   व्यक्ति  अपने  विचारों  का  परिष्कार    करे ,  जीवन  को  श्रेष्ठ  बनाये  l  इससे  समाज  परिष्कृत    होगा   l 
  एक  प्रवचन  में   आचार्य श्री  ने  कहा  था  कि  हमारे  देश  में  सात - आठ  लाख  बाबाजी  हैं  जो  आलस  और  विलासिता  का  जीवन  जीते  हैं  ,  समाज  पर  बोझ  हैं  l  यदि  सात - आठ  बाबाजी   प्रत्येक  गाँव  में  जाकर   अपने  धर्म  के  पादरी बनकर   समाज  की  सेवा  करें    तो  शिक्षा  की  समस्या ,  सामाजिक  कुरीतियाँ ,  साक्षरता ,  गंदगी ,  पिछड़ापन   आदि  सभी  समस्याएं  ठीक  हो  जाएँ   l 
  धर्म  की  आड़  में  देवताओं  का  बहाना  करके   जो  ढोंग  है  वह  समाज  के  लिए  कष्टदायक  है  l